एक बार एक गांव का आदमी शहर में काम के लिए जाता है और वह किसी कंपनी के अंदर घुसता है कुछ देर बाद उस आदमी को पता चलता है कि इस कंपनी का मालिक वह उसका मित्र है
वह आदमी उस कंपनी के मालिक की ऑफिस के अंदर घुस जाता है और वह मालिक अपने दोस्त को पहचान लेता है वह कुछ देर बातें करते हैं और साथ में चाय पीते हैं
अब गांव वाला आदमी उस कंपनी के मालिक को पूछता है कि है मित्र हम दोनों साथ में बहुत ही कम पगार के अंदर काम करते थे मैं आज वही का वही हूं और तुम इतने बड़े सेठ कैसे बन गए हो मुझे बताओ
तब वह सेट बोलता है कि है मित्र याद करो 4 साल पहले जब हम एक कंपनी में काम करके रात को अपने घर की तरफ लौट रहे थे तब मैंने तुमसे कहा कि अरे यार हमने अपने गोडाउन की लाइट बंद करना भूल गए चलो हम लाइट बंद करके वापस आते हैं
लेकिन मित्र तुमने कहा था कि छोड़ो यार कंपनी किया लाइट जल रही है अपनी जेब से थोड़ी पैसा लग रहा है लेकिन 5 किलोमीटर आगे आने के बाद भी मैं कंपनी के गोडाउन में जाकर लाइट बंद करके आ गया था
मित्र मेरी उस समय की जो सोचती वह एक कंपनी के मालिक जैसी थी मेरी जो विचार थे वह कंपनी के मालिक जैसे थे इसलिए मैं आज एक कंपनी का मालिक हूं और तुम्हारी जो सोच थी वह एक लेबर के जैसी सोच थी इसलिए आज भी तुम लेबर हो
नोट : - इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपनी सोच और अपने विचार हमेशा पूछे रखो एक ना एक दिन तुम जरूर सफल हो जाओगे
वह आदमी उस कंपनी के मालिक की ऑफिस के अंदर घुस जाता है और वह मालिक अपने दोस्त को पहचान लेता है वह कुछ देर बातें करते हैं और साथ में चाय पीते हैं
अब गांव वाला आदमी उस कंपनी के मालिक को पूछता है कि है मित्र हम दोनों साथ में बहुत ही कम पगार के अंदर काम करते थे मैं आज वही का वही हूं और तुम इतने बड़े सेठ कैसे बन गए हो मुझे बताओ
तब वह सेट बोलता है कि है मित्र याद करो 4 साल पहले जब हम एक कंपनी में काम करके रात को अपने घर की तरफ लौट रहे थे तब मैंने तुमसे कहा कि अरे यार हमने अपने गोडाउन की लाइट बंद करना भूल गए चलो हम लाइट बंद करके वापस आते हैं
लेकिन मित्र तुमने कहा था कि छोड़ो यार कंपनी किया लाइट जल रही है अपनी जेब से थोड़ी पैसा लग रहा है लेकिन 5 किलोमीटर आगे आने के बाद भी मैं कंपनी के गोडाउन में जाकर लाइट बंद करके आ गया था
मित्र मेरी उस समय की जो सोचती वह एक कंपनी के मालिक जैसी थी मेरी जो विचार थे वह कंपनी के मालिक जैसे थे इसलिए मैं आज एक कंपनी का मालिक हूं और तुम्हारी जो सोच थी वह एक लेबर के जैसी सोच थी इसलिए आज भी तुम लेबर हो
नोट : - इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपनी सोच और अपने विचार हमेशा पूछे रखो एक ना एक दिन तुम जरूर सफल हो जाओगे
No comments:
Post a Comment