Friday 16 November 2018

हनुमान बेनीवाल ओर अनिता का सच

अनिता बेनीवाल अपने ही चाचा हनुमान बेनीवाल के विरूद्ध वो खींवसर से चुनाव क्यों लड़ना जा रही है? आप तक पहुंचाई जा रही है वो हर सच्चाई जो अखबार छपी हैं, थानों के रिकॉर्ड में उपलब्ध है और अन्य जगहों से जुटाए गए तथ्याें पर आधारित हैं। *अनिता को चुनाव लड़ाने में जुटे भुमाफिया, हिस्ट्रीशीटर और हत्याकांड के आरोपी* : जीहां अनिता बेनीवाल को चुनाव लड़ाने वाले प्रशासनकी ओर से घोषित भूमाफिया और नागौर कोतवाली थाने का हिस्ट्रीशीटर हरिराम जाट (लोमरोड़) और नागौर शहर के वाटर वक्र्स चौराहे पर 8 अक्टूबर 2013 को हुई गैंगवार व अल्ताफ हत्याकांड का गिरफ्तार आरोपी संजय कॉलोनी निवासी रामचंद्र उर्फ बबलू ताडा ने मिलकर यह रणनीति बनाई है। *कौन है हरिराम जाट (लोमरोड़)* : यह हरिराम वो ही भुमाफिया व हिस्ट्रीशीटर हैं जिन्होंने नागौर शहर में 400 करोड़ रुपए की जमीनों के अधिकारियों से सांठ-गांठ कर झूठे दस्तावेजों के आधार पर गलत तरीके से नियमन, पट्टे चिपती जमीनों की स्वीकृतियां जारी करवा उन पर कब्जा कर चुका है। इस संबंध में 30 अक्टूबर 2016 को नगर परिषद के 45 वार्डों के पार्षदों ने तत्कालीन कलेक्टर राजन विशाल को इसी भूमाफिया के खिलाफ 90 फाइलों के दस्तावेज सौंपे और 1 हजार से अधिक पन्नों के दस्तावेजों की प्रतिलिपियां कलेक्टर को दी गई। लेकिन एक भाजपा के मंत्री के संरक्षण के कारण इनकी जांच आज तक नहीं हो पाई। यह वो ही भुमाफिया व हिस्ट्रीशीटर है जिन्होंने जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान सीएम वसुंधरा को माला पहना सोल ओढ़ाया था, जो खबर दूसरे दिन अखबारों की सुर्खियां बनी थी। यह वो ही हिराराम है जो पिछले दिनों पशु प्रदर्शनी स्थल पर नागौर में अमित शाह के मंच में नजर आया। यह वो ही हिस्ट्रीशीटर है जिनके नाम मारपीट, जान से मारने सहित कई हत्याएं करने को लेकर कोतवाली थाने का हिस्ट्रीशीटर बन गया।( हिस्ट्रीशीटर और वो भुमाफिया जिसके घर अब सवाई सिंह चौधरी के पोस्टर भी लगे हैं ) *हिस्ट्रीशीटर व भुमाफिया हरिराम की हनुमान बेनीवाल से क्या दुश्मनी* : विधायक हनुमान बेनीवाल ने हरिराम द्वारा नागौर शहर में सरकारी व आर्थिक गरीबों की जमीनों पर कब्जा करने व हत्याएं और गैंगवार बढ़ावा देने के विरोध में उतर आए थे। उन्होंने जिला प्रशासन व विधानसभा तक जांच की मांग को लेकर मुद्दे उठाए थे। जिसके कारण हरिराम लंबे समय से बेनीवाल के विरोध में खड़ा है, बेनीवाल को जान से मरवाने की साजिश भी रच चुका हैं। *दुश्मनी का बड़ा सच यह* : विधायक बेनीवाल व सभापति को मरवाने की दे डाली थी सुपारी जीहां यह वो ही भुमाफिया व कोतवाली थाने का हिस्ट्रीशीटर हरिराम है, जिन्होंने 2017 में विधायक बेनीवाल व नागौर सभापति कृपाराम सोलंकी को जान से मरवाने को लेकर बदमाश बलवीर नामक व्यक्ति को बड़ी रकम चुका सुपारी दी थी। मामला थाने पहुंचा जिसमें कुचामन सिटी के तत्कालीन सीओ विद्याप्रकाश ने अपनी जांच में हरिराम के खिलाफ आरोप प्रमाणित माने थे। यह मामला विधायक बेनीवाल ने कई बार विधासभा में उठाया, जांच एसओजी तक पहुंची लेकिन भाजपा के मंत्रियों ने जांच आगे नहीं बढ़ने दी। *कौन है रामचंद्र उर्फ बबलू ताडा* : यह वो ही संजय कॉलोनी निवासी बबलू ताडा है जिन्होंने 8 अक्टूबर 2013 को नागौर शहर के वाटर वक्र्स चौराहे पर हुई अल्ताफ की हत्या में शामिल था। जिसके बाद वो लंबे समय से जेल में रहा। यह वो ही बबलू ताडा है जो भुमाफिया हरिराम व उनके पुत्र ललित लोमरोड़ के करीबी है। *तो बबलू की विधायक बेनीवाल से क्या दुश्मनी है* : अल्फात हत्याकांड के इस आरोपी ने विधायक बेनीवाल की भतीजी अनिता बेनीवाल जो चुनाव लड़ने जा रही है अनिता की छोटी बहन कविता से यह हत्याकांड का आरोपी लव मरीज कर चुका है। बगैर इंजाजत लव मरीज करने पर इस परिवार से विधायक बेनीवाल सहित अन्य भाई नाराज हो गए। अल्फात हत्याकांड को लेकर विधायक बेनीवाल इस मामले को सरकार के सामने कई बार उठा चुके थे। यही से दुश्मनी शुरू हो गई। *तो अब आप जान गए होंगे विधायक बेनीवाल के सामने भतीजी द्वारा चुनाव लड़ने की यह रणनीति कैसे बनी* : नागौर शहर का प्रशासनकी ओर से घोषित भुमाफिया व कोतवाली थाने का हिस्ट्रीशीटर हरिराम लोमरोड और खींवसर से दावेदार अनिता का जीजा हत्याकांड का आरोपी रामचंद्र उर्फ बबलू ताडा ने मिलकर यह रणनीति तैयार की है। अनिता के पिता रामप्रसाद इस दुनिया में नहीं है, ऐसे में उनके घर में महिलाएं व युवा भाई खुशर्वेंद ही है जो भुमाफिया व हिस्ट्रीशीटर व हत्याकांड के आरोपी की रणनीति के जाल मे फंसने में कामयाब रहे। *(इस पोस्ट में दी गई सभी जानकारी अखबारों में छपी खबरें, प्रशासनीक रिकॉर्ड और कोतवाली थाने के रिकॉर्ड अनुसार है, चाहे तो आप भी जांच व गगूल सर्च कर हासिल कर सकते हैं)*......यह पोस्ट इसलिए क्योंकि सच्चाई व सत्य की हमेशा जीत ही होती है। Copy paste .... अनिता आपकी यह पोस्ट पढ़कर मुझे बहुत बुरा लगा, ऐसे लोगों के बेहकाव में आकर आप चुनाव लड़ने जा रही हो, शर्म आनी चाहिए।

कांग्रेस से जनता नाराज क्यो ??

1. क्योंकि हमें दिग्विजयसिंह का घटिया राज आज भी याद है 2. कांग्रेस केवल मुसलमानों की पार्टी है 3. कोई सरकारी कर्मचारी ऑन ड्यूटी नमाज़ पढ़ सकता है लेकिन सुबह सुबह जब वो ड्यूटी पर नहीं होता है वो शाखा में नहीं जा सकता है 4. इस देश का और हिंदुत्व का जितना नुकसान कांग्रेस ने किया उतना अंग्रेज़ों ने भी नहीं किया है। 5. कांग्रेस राम को काल्पनिक बताती है, राम मंदिर के फैसले में देरी चाहती है और आज उसका मूर्ख अध्यक्ष मंदिर मंदिर घूमने की नौटँकी करता है। 6. वर्तमान और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष जो कि माँ बेटे हैं, 5000 करोड़ के घोटाले में जमानत पर छूटे हुए आरोपी हैं 7. राहुल गांधी संसद में फ्रांस के राष्ट्रपति से मिलने जितना बड़ा झूठ बोलते हैं इसके बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इसका खंडन करते हैं 8. 84 के दंगों में कांग्रेस ने सिखों का नरसंहार किया था 9. पाकिस्तान में जाकर कांग्रेसी नेता मोदी को हटाने की बात करते हैं 10. जीप घोटाले से लेकर तो 2G घोटाले तक जाने कितने खरब रुपये कांग्रेस ने इस देश की जनता के लूटे हैं 11. पिछले साढ़े चार सालों में देश में कहीं भी आतंकी हमला नहीं हुआ, जबकि कांग्रेस के समय में आये दिन होते रहते थे। 12. कांग्रेस राज में 26/11 जैसा हमला हुआ फिर दोगली कांग्रेस का अध्यक्ष कहता है कि आतंकी हमलों को रोका नहीं जा सकता है, जबकि मोदी ने रोककर दिखा दिया। 13. कश्मीर में इतने आतंकी कभी नहीं मारे गए, ज़ाहिर है कांग्रेस इनको पाल पोस रही थी। 14. राम मंदिर फैसले में देरी चाहते हैं लेकिन कपिल सिब्बल जैसे वकील आधी रात को सुप्रीम कोर्ट एक आतंकी की फाँसी रोकने के लिये खुलवाते हैं। 15. असहिष्णुता, अवॉर्ड वापसी, अख़लाक़, सबरीमाला जैसे मुद्दों पर कांग्रेस नीचता की हद पार करती है लेकिन बंगाल केरल में मारे जा रहे हिंदुओं पर कुछ नहीं बोलती है। 16. राहुल गांधी के ऐसे 5 गुण बताईये जिसके कारण उसको प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है, कोई कांग्रेसी भी नहीं बता पायेगा। 17. शकल से मूर्ख दिखने वाला राहुल गांधी रॉफेल विमानों की रोज़ अलग अलग क़ीमत बताता है। 18. पी चिदंबरम आये दिन ज़मानत ले लेकर परेशान है। 19. कांग्रेस केवल मुफ्तखोरी की ही आदत डालना चाहती है। 20. झूठे वादे करना कांग्रेस और कांग्रेसियों की पहचान है। 21. 1970 में इंदिरा गाँधी ने नारा दिया था *गरीबी हटाओ* सारे कांग्रेसियों ने अपनी अपनी ग़रीबी दूर कर ली, देश की जनता को ग़रीब ही रखा। 22. जो कांग्रेस 60 सालों में सिर्फ अमेठी और रायबरेली का ही विकास नहीं कर पाई वो किसी प्रदेश या देश का विकास कैसे कर सकती है, आज वाराणसी जाकर देखो, कितना बदल गया सिर्फ साढ़े चार सालों में ही। काँग्रेस के अनगिनत कांड हैं, जिसे एक जनम में लिखा नहीं जा सकता है। *देश पर कलंक है कांग्रेस* कांग्रेस भगाओ, देश और प्रदेश बचाओ *कांग्रेस मुक्त भारत*

Thursday 15 November 2018

आखिर वोट किसको दे

*आखिर किसको वोट दिया जाये, किसको नहीं ! बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि सोचने पर BJP से भरोसा उठ जाता है। और देश के बारे में सोचते हैं तो दूसरी पार्टियों से भरोसा उठ जाता है।* त्रिपुरा में BJP की जीत पर वंदेमातरम के नारे लगे । अररिया में राजद की जीत पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे । *बेरोजगारी तो बर्दाश्त है, लेकिन पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा बर्दाश्त नहीं होता है।* कमियां तो हर सरकार में होती है, पर सारी देशद्रोही ताकतों को भाजपा से इतनी नफरत देख भाजपा के साथ खड़ा रहने का इरादा और पक्का हो जाता है। *राज ठाकरे से लेकर राहुल गांधी तक ,* *चंद्रबाबू से लेकर शरद बाबू तक,* *येचुरी से लेकर अब्दुल्ला तक,* *लालू से लेकर अखिलेश तक,* *मायावती से लेकर ममता बनर्जी तक !* *सब नेता एक आदमी को हराने को एक साथ खड़े हो गए हैं। कुछ तो जरूर सही किया है बंदे ने, तभी तो अपनी दुकान बचाने के चक्कर में पूरा बाजार ही रास्ते पर उतर आया है I* शिवसेना के अध्यक्ष कौन बने ? *बालासाहेब का बेटा* अगले एनसीपी अध्यक्ष कौन होंगे ? *शरद पवार की बेटी या भतीजे।* आरजेडी का अगला अध्यक्ष कौन है ? *लालू प्रसाद के बेटे I* समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष कौन हैं ? *मुलायम सिंह का बेटा I* टीडीपी के अध्यक्ष कौन है ? *चंद्र बाबू नायडू बेटा I* जेडीएस का अगला अध्यक्ष कौन है ? *देव गौड़ा के बेटे I* कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष कौन है ? *सोनिया का बेटा राहुल I* टीएमसी का अगला अध्यक्ष कौन है ? *ममता के भतीजे* डीएमके का अगला अध्यक्ष कौन है ? *स्टालिन के बेटे* क्या कोई मुझे बता सकता है कि "भारतीय जनता पार्टी" के अगले अध्यक्ष कौन होंगे ? लेकिन क्या उपर्युक्त पार्टी में से कोई भी हमें BJP जैसा साहस दिखा सकता है ? *नहीं , बिल्कुल नहीं ।* लेकिन पार्टी को अपनी परिवार की संपत्ति की तरह चलाने वाले ही देश मे ये उपदेश देते है कि वे ही *लोकतंत्र के असली रक्षक हैं ।* *राजा जनक जी की सभा में जब किसी भी राजा से अकेले धनुष नहीं उठा तो मूर्ख राजाओं ने महा गठबंधन करके संयुक्त रूप से धनुष पर जोर लगाया !* *भूप सहस दस एकहिं बारा.* *लगे उठावन टरै न टारा।।* इस कुप्रयास को देख कर किसी ने पूँछा... कि *यदि धनुष टूट ही गया तो सीता जी तो एक ही हैं और आप हजारों हों , तो वर कौन होगा ??* तो वे राजा बोले : - *पहले धनुष तोड़ेंगे.... फिर हम सब आपस मे लड़ेंगे मरेंगे कटेंगे.....जो जिंदा बचेगा वही वर होगा !!* *अब ये विचार आपको करना है कि, 2019 में किसकी सरकार आये और आप किसके साथ है I* अगर बात दिल को छू जाये तो मैसेज अपने जानने वालों को जरूर भेजे I *क्योंकि 2019 के लिए ऐसे ही लोगों का गठबंधन हो रहा है !!*

सालों तक पवित्र कैसे रहता है गंगाजल

हिन्दू धर्म में गंगाजल को सबसे पवित्र जल माना जाता है, सदियों से ही हर पवित्र कार्य को आरंभ करने के लिए हिन्दू लोग गंगाजल का ही प्रयोग करते हैं। हर हवन – पूजन और आराधना में गंगाजल का उपयोग होता है। हिन्दू शास्त्रो में भी गंगाजल की बहुत महत्ता है। गंगाजल की कुछ विशेषताएं हैं, जिनमें से सबसे बड़ी यह कि यह जल कभी खराब नहीं होता. इस पानी की जैविक संरचना विशिष्ट है.।वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगा के पानी में ऐसे बैक्टीरिया हैं, जो पानी को सड़ाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते और यह लंबे समय तक खराब नहीं होता। गोमुख से निकली भागीरथी, प्रयाग में अलकनंदा से मिलती है. इतनी दूरी तय करने के दौरान इसमें कुछ चट्टानें घुलती जाती हैं, जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो पानी को सड़ने नहीं देती. कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगाजल का सेवन करते ही थे, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाते थे. अब सवाल ये है कि गंगा जल आखिर खराब क्यों नहीं होता? पतित पावनी गंगा नदी का नाम आते ही ये सवाल अकसर दिमाग को खटखटा देता है, लेकिन इसका भी जवाब मिल गया है. दरअसल, गंगोत्री से निकली गंगा का जल इसलिए कभी खराब नहीं होता, क्योंकि इसमें गंधक, सल्फर, खनिज की सर्वाधिक मात्रा पाई जाती है। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की के निदेशक डॉ. आर.डी. सिंह के मुताबिक, हरिद्वार में गोमुख गंगोत्री से आ रही गंगा के जल की गुणवत्ता पर इसलिए कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि यह हिमालय पर्वत पर उगी अनेकों जीवनदायिनी जड़ी-बूटियों को स्पर्श करता हुआ आता है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मुकेश कुमार शर्मा ने बताया कि गंगा जल खराब नहीं होने के कई वैज्ञानिक कारण भी हैं. इनमें से एक यह है कि गंगा जल में बैट्रिया फोस नामक एक बैक्टीरिया पाया गया है, जो पानी के अंदर रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होने वाले अवांछनीय पदार्थों को खाता रहता है. इससे जल की शुद्धता बनी रहती है. दूसरा कारण गंगा के पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा मौजूद रहती है, इसलिए भी यह खराब नहीं होता। अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस के अनेक वैज्ञानिक गंगाजल पर कई बार रिसर्च कर चुके हैं और गंगाजल की विलक्षणता पर हैरान हैं. इंग्लैंड के मशहूर चिकित्सक सी.ई. नेल्सन ने जब गंगाजल पर रिसर्च की, तो उन्होंने कहा कि इस पानी में कीटाणु नहीं होते हैं. डॉ. हैकिन्स भी ब्रिटिश सरकार की ओर से गंगाजल पर रिसर्च करने आए. उन्होंने गंगाजल में हैजे के कीटाणु डाले, जो मात्र 6 घंटे में ही नष्ट हो गए. जबकि साधारण पानी में हैजे के कीटाणु डाले जाने पर वे कई गुना बढ़ गए. रूसी वैज्ञानिकों ने हरिद्वार एवं काशी में स्नान के उपरांत 1950 में कहा था कि उन्हें स्नान के बाद ही समझ आया कि भारतीय गंगा को इतना पवित्र क्यों मानते हैं। प्रोफ़ेसर भार्गव का तर्क है, “गंगोत्री से आने वाला अधिकांश जल हरिद्वार से नहरों में डाल दिया जाता है. नरोरा के बाद गंगा में मुख्यतः भूगर्भ से रिचार्ज हुआ और दूसरी नदियों का पानी आता है. इसके बावजूद बनारस तक का गंगा पानी सड़ता नहीं है. इसका मतलब कि नदी की तलहटी में ही गंगा को साफ़ करने वाला विलक्षण तत्व मौजूद है।” डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है. दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है. दूसरी नदी जो गंदगी 15-20 किलोमीटर में साफ़ कर पाती है, उतनी गंदगी गंगा नदी एक किलोमीटर के बहाव में साफ़ कर देती है।

खाटू श्याम ओर उनके भक्त

*बाबा के एक दास की विनती सुन लो....* *जो भी ये पोस्ट पढ़ रहे है वो अगर हर तरह से सम्पन्न है तो जो लोग किसी तरह के संम्पन्न लोग है तो जो परेशान चल रहे है उनको खाटूश्यामजी का रास्ता जरूर बता देना।* *कहते थे श्री आलूसिंह जी प्रभु का सच्चा दरबार है*, *सच्चे मन से जो कोई ध्यावे उसका बेड़ा पार है* *बाबा को हारे का सहारा इसीलिये नहीं कहा जाता है कि उन्हें अपनी माता मोर्वी से हारे हुए की जीत कराने का वरदान मिला था, जब श्रीकृष्ण ने वीर बर्बरीक को कलियुग का राजा बनने का वरदान दिया तब ये कहा था कि दुनिया मुझे सबसे बड़ा योगी कहती है कि तीनों लोकों में जिस किसी की किस्मत में मैंने दुख लिख दिया उसको सुख में परिवर्तित करने वाला कोई नहीं है, और जिसकी किस्मत में मैंने सुख, ऐशो आराम लिख दिया उसे दुखी करने वाला कोई नहीं है, जिसकी किस्मत को मैंने अगर दुखों, संघर्ष एवं कमियों से भर दिया है उसे कोई नहीं बदल सकता है, लेकिन हे वीर बर्बरीक कोई अगर किस्मत का मारा* *जिसकी किस्मत में मैंने दुख लिखे हैं और कलियुग में वो तेरे दर पर आ गया तो तेरे दरबार में मेरा लिखा हुआ भी बदल जाएगा।* *पूरी कायनात में खाटू नरेश का ही एक दरबार है जहां भगवान का लिखा भी बदल जाता है। बाबा केवल भाव का भूखा है इसे* *किसी प्रकार के हीरे मोती या सोने चांदी के दरबार से नहीं केवल अपने भाव भरे आँसुओं से श्याम प्रेमी रिझाते हैं और अपनी किस्मत बदलते हैं।* *बाबा श्याम के भरोसे जो अपनी जीवन गाड़ी सौंपते हैं उनकी फिक्र फिर बाबा श्याम रखते हैं।* *बस मेरी विनती है कोई दीन दुखी है तो उसे रास्ता बताये बाबा के दरबार पहुंचाये उसकी किस्मत की खराब रेखाएं खुद लापता हो जाएँगी। ईश्वर हमें हर जगह नहीं मिल सकता इसलिए पुराने लोगों ने मंदिर बनवाए और हमारा जब भी कोई दुख और दर्द होता है तो हम उस पत्थर वाली मूर्ति के सामने जाकर हाथ जोड़ते हैं और अपने मन की बात बोलते हैं और हम ऐसा भी बोलते हैं कि हे ईश्वर यदि मेरा यह काम सफल हुआ तो मैं आपके यहां पर ₹101 का प्रसाद चढ़ा लूंगा या फिर मैं 11:00 ₹100 का प्रसाद चढ़ा लूंगा और इंसान ईश्वर में इतना आशिक हो जाता है तो एक खाटू श्याम बाबा का जो मंदिर है वहां पर कहा जाता है कि हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा जो लोग हार जाते हैं जो लोग निराश हो जाते हैं जो लोग कमजोर हो जाते हैं जिंदगी से वह श्याम बाबा खाटू श्याम बाबा के यहां पर आते हैं और बाबा उनका बेड़ा पार लगाते हैं तभी तो कहा जाता है कि हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा हम सब उस मंदिर में जाइए और वहां पर एक बार अपना शीश झुकाया और गुजरात के सूरत में हर साल बाबा श्याम जी का जन्म दिवस मनाया जाता है और वहां पर बहुत ही बड़ा मंदिर भी बनवाया है और धूमधाम से वह लोग भजन गाते बाबा श्याम के और आने वाले भक्तों को मिठाई प्रसाद और भोजन भी करवाया जाता है मैं तो कहूंगा कि बाबा श्याम आप उन सब लोगों को हमेशा सुखी रखना जो इस तरह से लोगों की सेवा करते हैं जय बाबा श्याम जी खाटू श्याम ॐ श्री श्याम शरणम ममः बाबा तू मेरा और मैं तेरा हारे के सहारे की जय हो बोलिये प्रेम से जय जय श्री श्याम

माँ लक्ष्मी को प्रसन्न कैसे करे

शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा ( Purnima ) के दिन सुबह लगभग 10 बजे पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। कहते है कि जो व्यक्ति इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा रखकर मीठा जल अर्पण करके धूप अगरबत्ती जला कर मां लक्ष्मी का पूजन करें और माता लक्ष्मी को अपने घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें तो उस जातक पर लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है। सफल दाम्पत्य जीवन के लिए प्रत्येक पूर्णिमा ( Purnima ) को पति पत्नी में कोई भी चन्द्रमा को दूध का अर्ध्य अवश्य ही दें ( दोनों एक साथ भी दे सकते है) , इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है। जिस भी व्यक्ति को जीवन में धन सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन्हें पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर "ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:" अथवा " ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:। " मन्त्र का जप करते हुए अर्ध्य देना चाहिए । इससे धीरे धीरे उसकी आर्थिक समस्याओं का निराकरण होता है । पूर्णिमा के दिन भगवान शिव को सफ़ेद चंदन एवं सफ़ेद फूल चढ़ाते हुए साबूदाने की खीर का भोग लगाएं, परिवार में सुख सौभाग्य की वर्षा होगी, रोग और संकट दूर रहते है | पूर्णिमा के दिन अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु दूध में शहद एवं चन्दन मिलाकर छाया देखकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें । अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें। इस उपाय से घर में धन की कोई भी कमी नहीं होती है। इसके पश्चात प्रत्येक पूर्णिमा के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकाल कर माता के सम्मुख रखकर उन पर पुन: हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखे। आप पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी । हर पूर्णिमा के दिन मंदिर में जाकर लक्ष्मी को इत्र और सुगन्धित अगरबत्ती अर्पण करनी चाहिए । इत्र की शीशी खोलकर माता के वस्त्र पर वह इत्र छिड़क दें , उस अगरबत्ती के पैकेट से भी कुछ अगरबत्ती निकल कर जला दें फिर धन, सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माँ लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करें । हर जातक को अपने घर के मंदिर में प्रेम, शुभता और धन लाभ के लिए श्री यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल, दक्षिणवर्ती शंख आदि माता लक्ष्मी की प्रिय इन दिव्य वस्तुओं को अवश्य ही स्थान देना चाहिए । इनको साबुत अक्षत के ऊपर स्थापित करना चाहिए और हर पूर्णिमा को इन चावलों को जिनको आसान के रूप में स्थान दिया गया है उन्हें अवश्य ही बदल कर नए चावल रख देना चाहिए । पुराने चावलों को किसी वृक्ष के नीचे अथवा बहते हुए पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए । पूर्णिमा की रात में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक करें अर्थात चन्द्रमा को लगातार देखें इससे नेत्रों की ज्योति तेज होती है एवं पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा की रौशनी में सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्र ज्योति बढती है । आयुर्वेद के अनुसार पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की चाँदनी सभी मनुष्यों के लिए अत्यंत लाभदायक है। यदि पूर्णिमा ( Purnima ) के दिन चन्द्रमा का प्रकाश गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है अत: गर्भवती स्त्रियों को तो विशेष रूप से कुछ देर अवश्य ही चन्द्रमा की चाँदनी में रहना चाहिए ।

चरणामृत का क्या महत्व है?

चरणामृत का क्या महत्व है? अक्सर जब हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है.क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की.कि चरणामृत का क्या महत्व है. शास्त्रों में कहा गया है अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।। “अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृतरूपी जल समस्त पाप-व्याधियों का शमन करने वाला है तथा औषधी के समान है।,जो चरणामृत पीता है उसका पुनः जन्म नहीं होता” जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता,जैसे ही भगवान के चरणों से लगा तो अमृत रूप हो गया और चरणामृत बन जाता है. जब भगवान का वामन अवतार हुआ,और वे राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गए तब उन्होंने तीन पग में तीन लोक नाप लिए जब उन्होंने पहले पग में नीचे के लोक नाप लिए और दूसरे में ऊपर के लोक नापने लगे तो जैसे ही ब्रह्म लोक में उनका चरण गया तो ब्रह्मा जी ने अपने कमंडलु में से जल लेकर भगवान के चरण धोए और फिर चरणामृत को वापस अपने कमंडल में रख लिया.वह चरणामृत गंगा जी बन गई,जो आज भी सारी दुनिया के पापों को धोती है,ये शक्ति उनके पास कहाँ से आई ये शक्ति है भगवान के चरणों की.जिस पर ब्रह्मा जी ने साधारण जल चढाया था पर चरणों का स्पर्श होते ही बन गई गंगा जी .जब हम बाँके बिहारी जी की आरत गाते है तो कहते है – “चरणों से निकली गंगा प्यारी जिसने सारी दुनिया तारी “ धर्म में इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा मस्तक से लगाने के बाद इसका सेवन किया जाता है। चरणामृत का सेवन अमृत के समान माना गया है। कहते हैं भगवान श्री राम के चरण धोकर उसे चरणामृत के रूप में स्वीकार कर केवट न केवल स्वयं भव-बाधा से पार हो गया बल्कि उसने अपने पूर्वजों को भी तार दिया। चरणामृत का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं चिकित्सकीय भी है। चरणामृत का जल हमेशा तांबे के पात्र में रखा जाता है। आयुर्वेदिक मतानुसार तांबे के पात्र में अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति होती है जो उसमें रखे जल में आ जाती है। उस जल का सेवन करने से शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता पैदा हो जाती है तथा रोग नहीं होते। इसमें तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा भी है जिससे इस जल की रोगनाशक क्षमता और भी बढ़ जाती है। तुलसी के पत्ते पर जल इतने परिमाण में होना चाहिए कि सरसों का दाना उसमें डूब जाए। ऐसा माना जाता है कि तुलसी चरणामृत लेने से मेधा, बुद्धि, स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। इसीलिए यह मान्यता है कि भगवान का चरणामृत औषधी के समान है। यदि उसमें तुलसी पत्र भी मिला दिया जाए तो उसके औषधीय गुणों में और भी वृद्धि हो जाती है। कहते हैं सीधे हाथ में तुलसी चरणामृत ग्रहण करने से हर शुभ काम या अच्छे काम का जल्द परिणाम मिलता है। इसीलिए चरणामृत हमेशा सीधे हाथ से लेना चाहिये, लेकिन चरणामृत लेने के बाद अधिकतर लोगों की आदत होती है कि वे अपना हाथ सिर पर फेरते हैं। चरणामृत लेने के बाद सिर पर हाथ रखना सही है या नहीं यह बहुत कम लोग जानते हैं? दरअसल शास्त्रों के अनुसार चरणामृत लेकर सिर पर हाथ रखना अच्छा नहीं माना जाता है। कहते हैं इससे विचारों में सकारात्मकता नहीं बल्कि नकारात्मकता बढ़ती है। इसीलिए चरणामृत लेकर कभी भी सिर पर हाथ नहीं फेरना चाहिए। जिस गांव शहर और कस्बे में भगवान का मंदिर बना होता है वहां पर जो पूजा करने वाले पुजारी दिया जो पंडित जी होते हैं वह सुबह सुबह नित्य रोज नहा धोकर के मंदिर में आते हैं और सबसे पहले भगवान के यहां पर झाड़ू और साफ-सफाई करते हैं उसके बाद ईश्वर को नए लाते बुलाते हैं और जब ईश्वर को नहलाना और भुला ना होता है जो ईश्वर के ऊपर जो पानी आता है वह पानी उनके पैरों से लेकर किसी प्लेट या बर्तन में डाल दिया जाता है और जो पेड़ का पानी होता है उसको चरण का पानी कैसे और फिर उस पानी को अमृत समझा जाता है इसलिए उसको चरणामृत कहा जाता है और चरणामृत लेने के बाद इंसान के रूप है भूल जाते हैं और आत्मा के अंदर एक नई अनुभूति और एक नया अनुसार पैदा हो जाता है तू कहां जाता है कि आप जब भी मंदिर जाओ तो चरणामृत जरूर लो और माथे के ऊपर चंदन की टिक्की लगाओ जय श्रीराम जय श्रीराम “जय जय श्री राधे”

एक गोत्र में शादी क्यो नही

एक दिन डिस्कवरी पर जेनेटिक बीमारियों से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था। उस प्रोग्राम में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा कि जेनेटिक बीमारी न हो, इसका एक ही इलाज है और वो है :- *"सेपरेशन ऑफ़ जींस"* ============= मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारों में विवाह नहीं करना चाहिए, क्योंकि नजदीकी रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नहीं हो पाता और जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और एल्बोनिज्म होने की 100% सम्भावना होती है। *फिर बहुत ख़ुशी हुई, जब उसी कार्यक्रम में ये दिखाया गया कि आखिर "हिन्दूधर्म" में हजारों-हजारों वर्ष पहले जींस और डीएनए के बारे में कैसे लिखा गया है ?* ************ हिंदुत्व में गोत्र होते हैं और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नहीं कर सकते ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहें.. ************************* *उस वैज्ञानिक ने कहा कि आज पूरे विश्व को मानना पड़ेगा कि "हिन्दूधर्म ही" विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो "विज्ञान पर आधारित" है।* **************** हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क :- *1- कान छिदवानें की परम्परा :-* ************************* भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है। *वैज्ञानिक तर्क -* दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है,जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है। *2- माथे पर कुमकुम/तिलक :-* ************************ महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं। *वैज्ञानिक तर्क -* आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है।कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है।इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है। *3 - जमीन पर बैठकर भोजन करना :-* ************************* भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है। *वैज्ञानिक तर्क -* पलती मारकर बैठना,एक प्रकार का योग आसन है। इस पोजीशन में बैठने से मस्त‍िष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो, तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही दिमाग से खुद-ब-खुद एक सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये। *4 - हाथ जोड़कर नमस्ते करना :-* ************************* जब किसी से मिलते हैं, तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं। *वैज्ञानिक तर्क -* सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं, तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते।अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा। *5 - भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से :-* ************************* जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक अनुष्ठान होता है,तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है। *वैज्ञानिक तर्क -* तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं, इससे पाचन तंत्र ठीक से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है।इससे पेट में जलन नहीं होती है *6 - पीपल की पूजा करना :-* ******************** तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं। *वैज्ञानिक तर्क -* पीपल की पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और वो उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन उत्सर्ज करता है। *7 - दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना :-* *************************दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है,तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आयेगा, पूर्वजों का स्थान है आदि - आदि । इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोना चाहिए। *वैज्ञानिक तर्क -* जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर,परकिंसन,या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है *8 - सूर्य को नमस्कार :-* ******************** हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते नमस्कार करने की परम्परा है। *वैज्ञानिक तर्क -* पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आँखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है *9 - सिर पर चोटी रखना :-* *********************** हिंदू धर्म में ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे। आज भी लोग रखते हैं *वैज्ञानिक तर्क -* जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है, उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं। इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता। सोचने की क्षमता बढ़ती है। *10 - व्रत रखना :-* ************** कोई भी पूजा-पाठ, त्यौहार होता है तो लोग व्रत रखते हैं। *वैज्ञानिक तर्क -* आयुर्वेद के अनुसार व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोगों,मधुमेह,आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते। *11 - चरण स्पर्श करना :-* हिंदू मान्यता के अनुसार जब भी आप किसी बड़े से मिलें तो उसके चरण स्पर्श करें। यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं,ताकि वे बड़ों का आदर करें। *वैज्ञानिक तर्क -* मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है। इसे कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं। इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक। *12 - क्यों लगाया जाता है सिंदूर ? :-* ************************* शादीशुदा हिंदू महिलाएं सिंदूर लगाती हैं। *वैज्ञानिक तर्क -* सिंदूर में हल्दी,चूना और मरकरी होता है। यह मिश्रण शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है। इससे स्ट्रेस कम होता है। *13 - तुलसी के पेड़ की पूजा :-* *********************** तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है। सुख शांति बनी रहती है। *वैज्ञानिक तर्क -* तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियाँ दूर होती हैं। हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क*एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं..?* ================ *वैज्ञानिक कारण..* =========== एक दिन डिस्कवरी पर जेनेटिक बीमारियों से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था। उस प्रोग्राम में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा कि जेनेटिक बीमारी न हो, इसका एक ही इलाज है और वो है :- *"सेपरेशन ऑफ़ जींस"* ============= मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारों में विवाह नहीं करना चाहिए, क्योंकि नजदीकी रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नहीं हो पाता और जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और एल्बोनिज्म होने की 100% सम्भावना होती है। *फिर बहुत ख़ुशी हुई, जब उसी कार्यक्रम में ये दिखाया गया कि आखिर "हिन्दूधर्म" में हजारों-हजारों वर्ष पहले जींस और डीएनए के बारे में कैसे लिखा गया है ?* ************ हिंदुत्व में गोत्र होते हैं और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नहीं कर सकते ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहें.. ************************* *उस वैज्ञानिक ने कहा कि आज पूरे विश्व को मानना पड़ेगा कि "हिन्दूधर्म ही" विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो "विज्ञान पर आधारित" है।* **************** हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क :- *1- कान छिदवानें की परम्परा :-* ************************* भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है। *वैज्ञानिक तर्क -* दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है,जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है। *2- माथे पर कुमकुम/तिलक :-* ************************ महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं। *वैज्ञानिक तर्क -* आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है।कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है।इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है। *3 - जमीन पर बैठकर भोजन करना :-* ************************* भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है। *वैज्ञानिक तर्क -* पलती मारकर बैठना,एक प्रकार का योग आसन है। इस पोजीशन में बैठने से मस्त‍िष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो, तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही दिमाग से खुद-ब-खुद एक सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये। *4 - हाथ जोड़कर नमस्ते करना :-* ************************* जब किसी से मिलते हैं, तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं। *वैज्ञानिक तर्क -* सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं, तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते।अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा। *5 - भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से :-* ************************* जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक अनुष्ठान होता है,तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है। *वैज्ञानिक तर्क -* तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं, इससे पाचन तंत्र ठीक से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है।इससे पेट में जलन नहीं होती है *6 - पीपल की पूजा करना :-* ******************** तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं। *वैज्ञानिक तर्क -* पीपल की पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और वो उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन उत्सर्ज करता है। *7 - दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना :-* *************************दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है,तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आयेगा, पूर्वजों का स्थान है आदि - आदि । इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोना चाहिए। *वैज्ञानिक तर्क -* जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर,परकिंसन,या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है *8 - सूर्य को नमस्कार :-* ******************** हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते नमस्कार करने की परम्परा है। *वैज्ञानिक तर्क -* पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आँखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है *9 - सिर पर चोटी रखना :-* *********************** हिंदू धर्म में ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे। आज भी लोग रखते हैं *वैज्ञानिक तर्क -* जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है, उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं। इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता। सोचने की क्षमता बढ़ती है। *10 - व्रत रखना :-* ************** कोई भी पूजा-पाठ, त्यौहार होता है तो लोग व्रत रखते हैं। *वैज्ञानिक तर्क -* आयुर्वेद के अनुसार व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोगों,मधुमेह,आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते। *11 - चरण स्पर्श करना :-* हिंदू मान्यता के अनुसार जब भी आप किसी बड़े से मिलें तो उसके चरण स्पर्श करें। यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं,ताकि वे बड़ों का आदर करें। *वैज्ञानिक तर्क -* मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है। इसे कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं। इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक। *12 - क्यों लगाया जाता है सिंदूर ? :-* ************************* शादीशुदा हिंदू महिलाएं सिंदूर लगाती हैं। *वैज्ञानिक तर्क -* सिंदूर में हल्दी,चूना और मरकरी होता है। यह मिश्रण शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है। इससे स्ट्रेस कम होता है। *13 - तुलसी के पेड़ की पूजा :-* *********************** तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है। सुख शांति बनी रहती है। *वैज्ञानिक तर्क -* तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियाँ दूर होती हैं। हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क

Tuesday 13 November 2018

पिता छाँव तो फिर बेटा क्या है ??

राम-राम और नमस्कार दोस्तों मैं संकेत पारीक राजस्थान के नागौर जिले से आज आपको एक और हकीकत की कहानी से बयान करता हूं शायद इस गाने को सुनकर आप लोगों के दिल में कहीं ना कहीं दर्द जरूर होगा कि एक पिता जो होता है वह अपने परिवार और अपने बच्चों के लिए ठंडी छाया होता है लेकिन जिस दिन वह पिता बूढ़ा हो जाता है उस दिन उसका परिवार और उसका जो पुत्र है उसके लिए क्या होता है क्या मायने रखता है क्या पिता अगर छांव है तो क्या बेटा बुढ़ापे में पिता की इज्जत क्यों नहीं करता है क्या है क्या नहीं है मैं आपको यह कहानी में बता रहा हूं कि एक बार मैंने ऐसा देखा था कि एक पिता अच्छा कमाता था वह अपने बच्चों को हर चीज हर खुशी हर एक छोटी छोटी चीजें उपलब्ध करते थे वह पिता अपने बच्चों के लिए अच्छा कारोबार उनकी अच्छी शादी उनको अच्छा पढ़ाया अच्छा रहना अच्छा खाना अच्छा पीना हर चीज हर चीज का शौक दिया और अपने बच्चों को कभी किसी चीज की कमी नहीं आने दी समय चलता गया चलता गया चलता गया और धीरे-धीरे एक समय ऐसा हुआ कि बच्चों की शादी करी और 3 बच्चे तीनों बच्चों की शादी कर दी लड़की अपने ससुराल चली गई और दो लड़के शादी हो गए समय का अभाव ऐसा हुआ कि जो शादी हुई लड़के की उसकी पत्नी बोली कि अब मैं यहां नहीं रुक सकती मुझे तो बाहर जाना है यह गांव है मेरा यहां पर मन नहीं लगता मैं शहर में रुकना चाहती हूं मैं शहर में रहना चाहती हूं मैं शहर के माहौल में अपने आपको डालना चाहती हूं तो वह आदमी बहुत परेशान था कि अपने मां-बाप को छोड़ कर मैं अपनी पत्नी को लेकर बाहर कैसे जा सकता हूं लेकिन करें भी तो क्या उसकी पत्नी अपने पीहर जाकर बैठ गई 1 साल हो गई अब वह लड़के को चिंता हो गई थी कि अगर मुझको बाहर लेकर जाता हूं तो अच्छा है क्योंकि अपने गांव बेटी है तो ना ही अब मेरे पिता की सेवा कर पाएगी ना ही मेरे लिए खाना बना पाएगी तो वह आदमी अपनी पत्नी को लेकर बाहर रहने लगा और उसका पिता आज भी अपने बच्चों से कुछ मांगता नहीं है वह कहीं ना कहीं कैसे ना कैसे कुछ न कुछ जुगाड़ करता है और अपने लिए सब कुछ ले कर आता है और घर पर जो अपनी अकेली पत्नी उसके लिए भी हर एक चीज की व्यवस्था करते हैं तो मैं आज भी उनको देखता हूं तो मुझे लगता है कि हे भगवान अगर जिंदगी दे तो उनके जैसी दे लेकिन इनके जो बैठा है वैसा बेटा कभी ना दे क्योंकि जो बेटा अपने बाप का नहीं वो किसी का नहीं जय श्री राम धन्यवाद

गुरु और बवासीर एक दर्द भरी कहानी

दोस्तों ने राजस्थान के नागौर जिले से संकेत पारेख और आज मैं आपको एक हकीकत की कहानी बता रहा हूं कि जब बचपन के अंदर में तीसरी या चौथी क्लास में पढ़ता था तब मुझे मेरे एक गुरुजी पढ़ाया करते थे वह प्राइवेट स्कूल थी और वह गुरुजी बहुत ज्यादा पढ़े लिखे समझदार बोलने में अच्छा वक्ता और सुनाने के लिए भी बहुत बढ़िया इंसान थे पूरी गांव में उस गुरु जी का आदर होता था वह गुरुजी बहुत अच्छा पढ़ाते थे जो बच्चा उनके यहां पड़ता था वह हर एक बच्चे को हर एक चीज आती थी और पूरा गांव उस गुरु जी का सम्मान करते थे और सब लोग यही चाहते थे कि मेरा बच्चा इन गुरुजी के पास में पड़े 1 दिन क्या हुआ गुरु जी कुछ बीमार हुए तो वह दो-चार दिन स्कूल नहीं आए मुझे आज भी वह दिन याद है जब वह guruji24 स्कूल नहीं आए तो स्कूल में अफरा-तफरी मच गई थी क्योंकि जो डिसिप्लिन और जो आदर्श वह गुरुजी बनाकर रखते थे शायद वह आदर्श कोई दूसरा बना भी नहीं पाता था लेकिन हमें नहीं पता था कि गुरु जी बहुत ज्यादा बीमार है तो गुरुजी से उठा भी नहीं जाता था ऐसा हुआ कि गुरु जी 1 महीने तक खाट में सो रहे थे ऐसे ही कैसे करके गुरु जी को लगा कि अब मुझे स्कूल नहीं चलाना चाहिए तो गुरु जी ने अपने स्कूल बेच दी और जब गुरु जी को लगा कि अब तो मेरे परिवार का गुजारा भी मुश्किल से हो रहा है तो गुरुजी नौकरी के लिए छोड़ कर बाहर गुजरात चले गए और गुजरात में उन्होंने नौकरी की काफी आए थे वह अपनी जिंदगी से गुरु जी जहां पर काम करते थे वहां पर भी उनका मन नहीं लग रहा था क्योंकि वह बीमारी की हालत से बहुत ज्यादा परेशान थे और उनको अपने शरीर में बवासीर हो रखा था वह ना तो बैठ सकते थे ना अच्छा खा सकते थे ना पी सकते थे अंत में गुरु जी को गुजरात छोड़कर राजस्थान अपने घर पर आना पड़ा लेकिन फिर भी वह बीमारी से लड़ रहे थे ढूंढ रहे थे और आज ऐसा हो गया है कि आज की जनरेशन में हर गांव गांव हर जगह जगह में प्राइवेट खुले हो गई गुरु जी की जो एक आदर्श था वह कम होता गया गांव की नज़रों में और गुरु जी अपने ही घर में सिकुड़ कर बैठ गए और वह आज किराने की दुकान के ऊपर बैठकर अपने रोजी के लिए घूम रहे हैं लेकिन हम लोग यह चाहते हैं कि कभी अगर उनके चेले सक्सेज हुए तो गुरु जी को भी अपने तक लेकर उठाए गुरु एक वह शब्द है जिसके मात्र बोलने से ही कलेजे को ठंडक मिलती है और गुरुजी वह शब्द है जो ऊंचाइयों का सपना दिखाता है और कुछ सपने को साकार भी करता है अगर इस दुनिया में ईश्वर मां और पिता के बाद अगर कोई इंसान का नंबर आता है तो वह है गुरु क्योंकि गुरु के बिना सब कुछ अधूरा है गुरु के बिना सब कुछ पूर्ण नहीं है इसलिए आप गुरु की हमेशा इज्जत करो और गुरु को अपना समझो और जहां पर भी आपको अपने गुरु दिखाई दे चाहे आप कितने भी ऊंचे पद पर क्यों ने रोक आप गुरु के पास जाओ और उनको प्रणाम करो उनके पैर छुओ और उनको यह आश्वासन दो कि आज मैं जो कुछ भी हूं हे गुरुदेव में आपकी वजह से मैं आपकी वजह से ही हूं जय गुरुदेव जय श्री राम

Monday 12 November 2018

नौकरी और सेठ के चमचे

राम-राम और नमस्कार दोस्तों मैं संकेत पारीक राजस्थान के नागौर जिले से और नागौर जिले के डेगाना तहसील से मैं आपको इस जीवन की कुछ हकीकत चीजों से आपको रूबरू करवाता हूं कि जब परिवार की जिम्मेदारियां मेरे कंधे के ऊपर आई तो मुझे लगा कि अब मुझे पढ़ाई छोड़कर कमाने के लिए घर को छोड़ना होगा और वही हुआ और एक दिन मैं अपने परिवार की जिम्मेदारियों की बोझ के नीचे दबकर बाहर कमाने के लिए चला गया मेरे पिताजी ने मेरी पढ़ाई के पीछे बहुत खर्चा किया और वक्त ऐसा था कि मैं अच्छी पढ़ाई करके अच्छा आदमी था अच्छी पहचान थी तो जब मैं बाहर गया कमाने के लिए तो मुझे अच्छी नौकरी मिल गई थी और मुझे नौकरी करते हुए लगभग 10 दिन हो गए मुझे सब काम समझ में आने लगा सब लोगों को मैं जाने लगा लोग मुझे जानने लगे लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि जहां पर हम काम करते वहां पर पैर काटने वाले भी बहुत लोग मिल जाते हैं मैं अपनी धुन में कि मुझे अच्छी नौकरी मिल गई है मैं अपने परिवार का अच्छी तरह से पालन पोषण कर पाऊंगा अपने घर पर पैसे भेज पाऊंगा यह सब चीजें हमेशा सोचता था और मैं जिस तरह से काम करता था तो मेरी कंपनी का जो सेट है वह मेरे काम से प्रभावित भी होता था कि यह लड़का बहुत अच्छा काम करता है मुझे सैलरी ₹7000 मिलती थी लेकिन सेठ जी को जब मेरा काम पसंद आया तो उन्होंने 7000 से मुझे ₹10000 पर महीना कर दिया था लेकिन यह मेरी जो इंप्रूवमेंट थी वह जो पुराने लोग थे उनको हजम नहीं हुई और वह मेरी बुराइयां सेट की तरफ करने लगे थे और धीरे धीरे धीरे धीरे इस तरह से हटके दिल और दिमाग में जो छवि थी वह गंदी हो गई और सेठ जी का जो बताओ मेरी तरफ से हंसने लगा और चेला हो गए तो मेरे ऊपर तो फिर मुझे वह नौकरी छोड़ने की नौबत आई और आज भी मैं अच्छी नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहा हूं मुझे नौकरी मिल जाती है लेकिन पेड़ काटने वाले हमेशा मेरे आगे सामने खड़े रहते हैं तो मैं सभी दोस्तों से यही कहना चाहूंगा कि आप जहां भी जाओ जिस मोड़ पर भी जाओ अपना तो ध्यान रखो रखो साथ ही साथ आपके कोई पेल ना काटे इस चीज का सबसे पहले ध्यान दो तो मैं सभी दोस्तों से यही कहना चाहूंगा कि जीवन की यह एक सच्चाई है कि जब भी आप आगे बढ़ो गे तो कोई ना कोई आपको पीछे से खींचने वाला जरूर मिलेगा और यह भी एक सच्चाई है कि जो लोग आपको मुंह पर बहुत ज्यादा मीठा बोलते रहे असल के अंदर उन लोगों के दिल में उतना ही ज्यादा जहर घुला हुआ होता है यदि कोई व्यक्ति आपको या आपके साथ अगर बुरी बात करें या आपको खरी खरी बात सुनाए तो आप समझ लीजिएगा कि वही आदमी आपका शुभचिंतक है और वह आदमी कभी आपका बुरा नहीं चाहता क्योंकि वह जो कुछ भी बात है वह आपको मुंह पर बता रहा है इसका मतलब कि वह आपको अपनी गलती बता रहा है कि आप अपनी गलती को सुधार लो नहीं तो आप के साथ गलत होगा यह चीज बताने वाला ही अपना खुद का होता है तो इस संसार के अंदर आप जहां भी जाओगे आपको असामाजिक तत्व हमेशा सामने मिलेंगे आपको उन से बचना पड़ेगा और अपने आप को आगे बढ़ाना पड़ेगा धन्यवाद जय श्री राम

मेरा दोस्त मेरी दुनिया

नमस्कार और राम-राम दोस्तों ने संकेत पारीक राजस्थान के नागौर जिले से मैं आपको कुछ हकीकत बता रहा हूं जो 100% सही है जबकि मेरे बहुत से दोस्त ने कुछ बातें ऐसी सुनी होगी जो सिर्फ टीवी के पर्दे में देखते हैं लेकिन किसी के जीवन में वह चीज घटित नहीं होती है लेकिन मैं आज आपको ऐसी बात बताने जा रहा हूं जिसको बताते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि एक समय ऐसा था जब मैं और मेरा दोस्त स्कूल में साथ पढ़ते थे स्कूल में पेशाब करने जाते थे तो हम साथ में जाते थे खाना खाने जाते थे हम साथ में जाते हैं उनकी छुट्टी होती हम साथ में जाते हैं हम चुपके से गुटखा जर्दा भी खाते थे तो साथ में खाते थे और गुण ले जाना होता था तो हम साथ में जाते थे बस एक चीज की कमी थी कि मेरा दोस्त बहुत ज्यादा गरीब था उसके घर पर बहुत ज्यादा कर्जा था लेकिन सबसे अच्छी बात यह थी कि उसका घर परिवार में हमेशा शांति प्रेम और क्या रहता था क्योंकि उसके पिताजी एक देवता जैसे इंसान थे और हम सब दोस्त उनके पास में रहते थे हमारे वह पिताजी के समान थे आज उनकी माता जी हमारी माता जी के समान थी तो हम लोग काफी साथ में रहते थे और धीरे-धीरे जैसे-जैसे परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ती गई हमारी शादी हो गई तो हमें एक दूसरे से अलग होना पड़ा था लेकिन मेरा जो गरीब दोस्त था उसने कुछ इस तरह से अपने आप को सजाया और इस तरह से अपने आप को एक बिजनेस के अंदर डाला कि आज मेरा दोस्त हर चीज संपूर्ण है सर्वगुण संपूर्ण है क्योंकि वह दोस्त दिल का बहुत अच्छा है और मुझे फक्र होता है कि ईश्वर ने मुझे उस दोस्त से मिलाया उस गांव में जन्म दिया और उस घर से मेरा रिलेशन बनाया था कि आज वह मेरा दोस्त मेरी हर जगह मदद जरूर करता है और मैं ईश्वर से दुआ करता हूं कि मुझे जब भी जन्म मिले तो वही दोस्त मिले और वही मेरा भाई मिले मैं हमेशा उस दोस्त के लिए खुश रहने की दुआ करता हूं और भगवान से यह भी बोलता हूं कि मेरे हिस्से की खुशियां भी मेरे दोस्त को मिल जाए एक सच्चाई यह भी है कि अगर आपके पास दुनिया में एक भी सच्चा दोस्त गए तो आप यह समझ लीजिए कि आपके पास नायाब हीरा है और ईश्वर ने आपको जो जिंदगी दी है वह सत्यार्थ हो गई है क्योंकि एक अच्छा दोस्त आपके लिए एक पिता मां भाई बहन सब का रोल अदा कर सकता है और एक अच्छा दोस्त ही आपके जीवन के उतार-चढ़ाव में आपके साथ होता है और मैंने तो यह हमेशा महसूस किया है कि मेरा जो मित्र है उसने मेरे जीवन के अंदर जिस तरह से उसने मुझे सपोर्ट किया है मैं ईश्वर से यह दुआ करूंगा कि जब भी मेरा इस धरती पर जन्म हो तो हर जन्म में वह दोस्त मुझे मिले क्योंकि मैं भी चाहूंगा कि एक जन्म में मैं उस दोस्त का कर्जा उतार दूं और उस दोस्त को गले लगा कर हर जन्म में उसको पाकर ईश्वर को बार-बार धन्यवाद कर सकूं धन्यवाद जय श्री राम संकेत तारीख

मेरे पिताजी और अल्टो गाड़ी

एक बार मैं घर के ऊपर बैठा था तो मैंने अपने पिताजी से बात की थी कि पिताजी आज के समय में एक फोर व्हीलर गाड़ी की बहुत ही ज्यादा घर पर जरूरत होती है तब मेरे पिता जी ने मुझसे कहा कि हां बेटे तुम्हारी बात बिल्कुल सही है सब मैंने पिताजी से बोला कि पिताजी क्यों ना हम एक फोर व्हीलर गाड़ी घर पर लेकर आए चाहे गाड़ी नहीं हो या सेकंड हैंड कम से कम हमारे घर के लिए वह अच्छी होगी तो पिताजी ने हां कर दी और मैंने एक सेकेंड हैंड गाड़ी देखने की सोच ली और मैंने कम से कम 50 गाड़ियां देखी किसी की रेट ज्यादा तो किसी की रेट कम जिसकी रेट ज्यादा थी वह गाड़ी अच्छी थी लेकिन जिसकी रेट कम थी उसके फीचर्स बहुत कम थी तो मैं बहुत हताश और परेशान हो गया था कि क्या किया जाए और इस तरह से गाड़ी को ली जाए क्योंकि गाड़ी सिर्फ एक बार ही लेनी है बार-बार गाड़ी ले नहीं सकते तो मेरे पिताजी ने मुझे सामने बैठाया और मुझे बोले कि देख बेटा तुझे गाड़ी लेना है तो ₹200000 गाड़ी में खर्च कर रहा है इसकी जगह तुला किया डेढ़ लाख रुपए और डाल दे तो गाड़ी नहीं आ जाएगी और बहुत ही शानदार गाड़ी आ जाएगी मैंने पिताजी की बात को दिल और दिमाग में छाप लिया था और घर पर नई गाड़ी लेकर आ गया और आज मुझे उस गाड़ी को लिए कम से कम 5 साल हो गए अभी तक कोई खर्चा नहीं हुआ है और हम पूरी फैमिली जहां तक घूमने जाना है वहां तक घूमने जा सकते हैं तो मैं सभी दोस्तों से यही कहूंगा कि अगर आपको भविष्य में फोर व्हीलर गाड़ी लेनी हो तो आप नई गाड़ी ले सकते जिससे प्रदूषण भी नहीं होगा और आपके हित में भी रहेगी खर्चा भी कम और घर के लिए अच्छी और लाभदायक और मुझे यह भी पता था कि मेरे पिताजी जब भी किसी फोर व्हीलर गाड़ी वाले को देखते थे तो उनके माइंड में एक सवाल जरूर पैदा होता था कि काश हमारे घर में भी एक छोटी सी कार हो तो मैं भी अपनी फैमिली को घुमाने के लिए या जहां कहीं भी जाना हो कार में लेकर जाऊं और हम सब एक साथ बैठकर जाए इंजॉय करें फैमिली को मजा भी आए तो मैंने पिताजी से बात भी की पिताजी ने हाथी की और पिताजी ने नाभि की लेकिन पिताजी के दिमाग में एक सवाल जरूर था कि आज अगर मैं फोर व्हीलर लेकर आऊं तो कल को क्या पता कि मेरा बेटा इस चीज का नाजायज फायदा ना उठा ले लेकिन मैं हमेशा मेरे पिता की तरफ कोई उंगली ना करें ऐसा कोई काम नहीं करता हूं और अंत में यह भी कहूंगा कि जीवन में कुछ ऐसा करो कि अपने पिता खुश हो जाए और मेरा एक सपना है कि मैं अपने पिताजी को फोर व्हीलर गाड़ी में बिठाकर घुमा और पेश करूं क्योंकि पिता है तो जहान है जय श्री राम धन्यवाद

Sunday 11 November 2018

भाजपा में जाट नही

भाजपा की टिकट वितरण कोर कमेटी में एक भी जाट नेता शामिल नहीं, जबकि सभी प्रमुख जातियों को मिली जगह* *नई दिल्ली.* भाजपा कोर कमेटी में जहां बड़े-बड़े दिग्गज वह हर जाति को जगह दी गई है. किसान कौम के नाम से मशहूर जाट समाज से कोई नेता राजस्थान टिकट वितरण को लेकर बनी कोर कमेटी में नहीं है. इसको लेकर राजस्थान के जाट समुदाय में रोष व्याप्त है. दरअसल, राजस्थान चुनाव को लेकर बनी कोर कमेटी में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, ओमप्रकाश माथुर, प्रदेशध्यक्ष मदनलाल सैनी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, प्रभारी अविनाश राय खन्ना, राजेंद्र सिंह राठौड़, अशोक परनामी, गुलाब चंद कटारिया, सह संगठन मंत्री वी सतीश शामिल है. राजस्थान की कोर कमेटी में राजपूत, कायस्थ, माली, ब्राह्मण, जैन और दलित समुदाय से जुड़े नेताओं को शामिल किया गया है. वहीं जाट समाज से कई कद्दावर नेता होने के बावजूद एक भी नेता को कोर कमेटी में शामिल नहीं किया गया है. वर्तमान में जाट समाज से बाड़मेर-जैसलमेर सांसद कर्नल सोनाराम , राज्यसभा सांसद रामनारायण डूडी, केंद्रीय मंत्री सीआर चौधरी, झुंझुनू सांसद संतोष अहलावत, सीकर सांसद स्वामी सुमेधानंद, पूर्व सांसद राम सिंह कस्वा उनके पुत्र राहुल कस्वा जैसे वरिष्ठ नेता शामिल है. वहीं 27 के करीब विधायक जाट समाज से विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे है. जहां एक तरफ कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी को दर्जा देकर कोर कमेटी में मुख्य स्थान दे रही है. वहीं भाजपा में जाट समाज से जुड़े नेताओं को कोर कमेटी में शामिल न कर दरकिनार कर रही है. राजस्थान के अंदर आज जाट ज्यादा बहुत ज्यादा हो गए हैं यह जाति जिस तरह वोट डालते हैं शायद वह उम्मीदवार 100% जीत जाता है और जाट के तो जहां है कहां जाता है जहां जाट है वहां ठाट है क्योंकि जाट के ठाठ के न्यारे होते हैं और जाट अब बीजेपी में नहीं जाएंगे ऐसा भी सुनने में आ रहा है लेकिन मैं तो यह कहूंगा कि जाट हमेशा अच्छे आदमियों का साथ देते हैं चार्ट हमेशा काम करने वाले पार्टी को ही चुनते हैं तो इस बार भी मैं सभी जाट भाइयों से निवेदन करूंगा कि आप अच्छे से अच्छे उम्मीदवार को लेकर आओ अच्छे से अच्छे कर्म बुधवार को आप बताओ ताकि हमारे मोहल्ले हमारे क्षेत्र हमारे गांव हमारी तहसील हमारे जिला और हमारे राजस्थान में काम हो सरकार हो नाम हो जाट का भी नाम हो और जो काम करवाता है उसका भी नाम हो तो जिस तरफ जाट जाति एक तरफा वोट होंगे शायद वही उम्मीदवार आगे निकल सकता है

Saturday 10 November 2018

मोदी के खिलाफ आपराधिक रिट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपराधिक रिट याचिका स्वीकार करने वाले है सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई! सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक आपराधिक याचिका स्वीकार करने वाले हैं। यह बात उन्होंने दो जजों जस्टिस यूयू ललित तथा केएम जोसेफ के सामने एएसजी तथा केके वेनुगोपाल को संबोधित करते हुए कही। इस बात का खुलासा सुशील कुमार राजपाल ने अपनी फेसबुक पोस्ट में किया है। राजपाल का कहना है कि जस्टिस गोगोई ने वहां मौजूद सरकारी वकीलों को संबोधित करते हुए कहा कि वे प्रधानमंत्री के खिलाफ एक आपराधिक रिट याचिका स्वीकार करने के संदर्भ में आदेश पारित करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई के संबोधन के बारे में बताते हुए राजपाल ने कहा है कि राफेल डील को लेकर सरकार ने सील्ड कवर में कोर्ट को जो भी सूचनाएं दी है उसे मुख्य न्यायधीश पब्लिक डोमेन में रखने लायक मानते हैं। कहने का मतलब यह कि मुख्यन्यायधीश सरकार द्वारा कोर्ट को उपलब्ध कराई सूचना वादी को भी देने के पक्ष में हैं। राजपाल ने कहा कि वैसे तो कोर्ट ने अपने पहले आदेश में कीमत और गुप्त जानकारी के विववरण की तलाश नहीं करने की बात कही थी, लेकिन अब मुख्य न्यायधीश ने सरकार से राफेल विमानों की कीमत तथा गोपनीय जानकारियों के विवरण भी दस दिनों के अंदर सील्ड कवर लिफाफे में देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार से राफेल डील के बारे में सारी जानकारी देने को कहा है। अगर संक्षेप में कहा जाए तो कोर्ट ने सरकार से राफेल डील की पूरी फाइल ही सौंपने को कहा है। राजपाल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने तो एक प्रकार से केंद्र सरकरा को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वे राफेल डील की पूरी फाइल नहीं सौंपती है तो फिर उन्हें एक हलफनामा सौंपनी होगी। जिसका अर्थ होगा कि केंद्र सरकार को अपने ही वकीलों पर विश्वास नहीं हैं। और इसके लिए व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री तथा सचिव को जवाबदेह ठहराया जा सके। राजपाल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील को लेकर नई जनहित याचिका तथा इस मामले में नई एफआईआर कराने के साथ कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की मांग पर सुनवाई करने की सहमति दे दी है। यह याचिका कांग्रेंस के आदेश पर प्रशांत भूषण, अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा तथा आप के सांसद संजय सिंह ने दी है। राजपाल ने कहा है कि इनलोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत रूप से गंभीर आरोप लगाए हैं। सुशील कुमार राजपाल ने कहा है देश के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 नवंबर को दी है। उन्होंने कहा कि शायद कांग्रेस पार्टी को नेहरू के जन्मदिन 14 नवंबर पर उपहार देने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने यह तारीख रखी है। राजपाल ने कहा कि वह मैडम और पप्पू की ताकत से हैरान हैं साथ ही यह आशंका भी जताई है कि ऐसा बिना किसी विदेशी ताकत से संभव ही नहीं है। उन्होंने इस खेल में निश्चित रूप से विदेशी ताकत होने की आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से जुड़े सबसे विवादित मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में मोदी के एक कट्टर आलोचक सबसे कनिष्ठ जज को अचानक जगह मिल जाना भी अचंभित करती है। वह चाहे राफेल डील का मामला हो या सीबीआई की आंतरिक कलह का मामला या फी राम मंदिर विवाद का मामला हो। इन सारे मामलों से अचानक उन्हें जोड़ना अंचभित तो करता ही है। राजपाल ने कहा कि ऐसे में किसी परिणाम का अनुमान करना मूर्खता के अलावा कुछ और नही हों सकता। ये वही जज हैं जिन्होंने अकेले उत्तराखंड में भाजपा सरकार को गिराने के लिए उसके खिलाफ निर्णय दिया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके नाम का अनुमोदन करने के बाद भी हाईकोर्ट के सबसे कनिष्ठ जज होने के नाम पर केंद्र सरकार ने उनके नाम को सुप्रीम कोर्ट जज के लिए खारिज कर दिया था। इतना सबकुछ होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट के जज के रुप में उनकी नियुक्ति हुई। यह भी अपने आप में सवाल खड़ा करता है। सुशील कुमार राजपाल ने कहा है कि जिस प्रकार रंजन गोगोई ने सरकारी वकीलों को बताया है इससे उन्होंने साफ संकेत दे दिया है कि उन्हें मोदी सरकार पर विश्वास नहीं है। अब सवाल उठता है कि क्या सरकार को कोर्ट पर विश्वास करना चाहिए खासकर भारत के रक्षा गोपनीयता को लेकर? क्या गारंटी है कि वे हमारे देश की रक्षा गोपनीयता को वादी विशेषक पप्पू के माध्यम से देश के दुश्मनों के साथ लीक नहीं करेंगे? राजपाल ने कहा है यह विचार करने की बात है कि किस प्रकार मोदी के विरोधी उनके खिलाफ आपराधिक मामला और एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीप कोर्ट का उपयोग करने में लगे हैं, ताकि मोदी को किसी प्रकार से सत्ता से हटाया जा सके। और कोर्ट भी उनलोगों का साथ देते हुए उनके मामले को तत्काल स्वीकार कर रहा है जबकि उसके पास राम मंदिर जैसे मामले को सूचीबद्ध करने तक का समय नहीं है। उन्होंने कहा है कि इससे साबित होता है कि मोदी को किसी प्रकार सत्ता से हटाने के लिए कोर्ट से लेकर विदेशी ताकतों से साजिश की जी रही है।

मृत्यु भोज ओर विधवा का दुःख

मृत्यु भोज का लुत्फ उठाने वालो... जो आप सजधज कर जीमण जीमने जाते हो ना.. तुम्हारे उसी *एक समय के जीमण की कीमत* आप तो मज़े से जीमण खा रहे होते हो.. लेकिन कभी उस विधवा औरत के बारे मे भी सोचा.. जो अब भी घर के अंधेरे कमरे मे किसी कोने में भरी गर्मी मे भी कम्बल ओढकर बैठी हुई है ..वो 8-10 दिनो से लगातार रो रही है और उसके आंसु सुखते तक नहीं है.. वो ना जाने कितने दिनों से भूखी होगी.. जिसे बाकी की सारी उम्र अपने पति के बिना सादगी से काटनी पड़ेगी... मृत्यु भोज का लुत्फ उठाने वालो.. उन बच्चों के बारे में भी सोचो.. जिनके सर से अपने बाप का साया उठ चुका है.. और जो हफ़्ते दस दिन से भूखे प्यासे आपके खाने पीने की ज़रूरतो को पुरा करने मे लगे हुए हैं.. इस मृत्यु भोज के लिए चाहे कर्ज ले या ज़मीन बेचे.. चाहे बच्चों की पढ़ाई छुटे या कम उम्र में ही मज़दुरी करनी पड़े.. पैसे तो उन्ही को चुकाने है.. आपको तो आपके जीमण से मतलब है..कभी उनकी आँखों मे आंखें डालकर देखना.. कर्ज़ चुकाने की टेंशन साफ दिखाई देगी.. अगर वाकई मे इंसान ही हो तो आंसुओं और मज़बुरियो से बना खाना छोड़ दो.. मैंने तो यह एहसास भी किया है कि एक बार मैं किसी के यहां मृत्यु भोज पर गया था तो मैंने देखा था कि जिस इंसान की मृत्यु हुई उस घर में उसके दो बच्चे थे जो पहला 6 साल का और दूसरा 4 साल का था और उसके घर परिवार में और कोई था नहीं तो आस पड़ोस के लोग ही वहां पर आकर बोल रहे थे कि लड्डू बनने चाहिए या बूंदी बननी चाहिए सब्जी यह नहीं होनी चाहिए साथ में तंदूरी होनी चाहिए सब लोग खाने को लेकर खुशियां मना रहे हैं जबकि जिस इंसान की मृत्यु हुई उसके बच्चों को तो इतनी भी समझ नहीं है कि उसने अपने पापा को खो दिया अपने सर से एक छत्रछाया या एक विचारों की छाया अब खत्म हो गई है लेकिन वह जो औरत है वह एक तरह से सुनना है उसके चाहे लोग कुछ भी करो या कुछ भी मत करो उसे कुछ लेना देना नहीं है क्योंकि वह अपने पति के बिरहा में इतनी पागल हो गई है उसे कुछ दिखाई नहीं देता और जिस दिन वह सदमे शुभ रहेगी तब तक उसको यह पता रहेगा कि उसके ऊपर कितना कर्ज हो गया है इतना दर्द हो चुका है कि उसके बच्चे अभी पढ़ाई नहीं कर पाएंगे क्योंकि पढ़ाई करेंगे तो कर्ज नहीं चुका पाएंगे इसलिए उनको पढ़ाई से पहले ही काम धंधे पर लगा दिया जाता है और वह बच्चे किसी बॉस के तले दबे थे उनकी सोच भी रहती है और वह जीवन में आगे बढ़ नहीं पाते तो मैं यह समझूंगा कि यह जो सिस्टम है यह खत्म होना चाहिए यह जो सिस्टम है वह बंद होना चाहिए क्योंकि एक विधवा या 1 बच्चे जो है वह लाचार होते हैं मजबूर होते हैं क्योंकि यह सिस्टम बिल्कुल खराब है खुशी के मौके भी जिंदगी में खुब आते है.. तब खाओ ना, जी भरकर.. जितना खा सको......समाज के गणमान्य पँच वह मुख्य लोगों से हाथ जोङ कर विनती है कि म्रत्यु भोज बँद करने हेतु समाज मे आगे आये ..आप सभी महानुभावो की ये छोटी सी पहल हमारे समाज के युवा को कर्जदार होने से रोक सकती है अतः आप से पुनः विनती करता हु ..🙏कि ये पोस्ट आप सभी को ठीक लगे तो शेयर करना न भूले.....

जाट ओर उनका इतिहास

पं० मदन मोहन मालवीय के नाम से हम सभी भारतीय परिचित हैं। ये महान् पुरुष एक राजनीतिक, समाज-सुधारक, शिक्षा सुधारक तथा धर्मप्रिय नेता थे। इन्होंने ही बनारस में हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। इन्होंने विख्यात सेठ बिड़ला के सहयोग से सन् 1932 में दिल्ली में एक भव्य मन्दिर बनवाने की सोची। इसकी आधारशिला के अवसर पर भारत वर्ष के राजा-महाराजाओं को पधारने का न्यौता दिया गया। काफी राजा महाराजा सज-धजकर इस अवसर पर दिल्ली पहुंचे। जब आधारशिला रखने की बारी आई तो महामहिम मालवीय जी दुविधा में पड़ गए कि किस राजा के कर-कमलों से इस पवित्र मन्दिर की स्थापना की जाए। उन्होंने बहुत सोच विचार कर एक प्रस्ताव तैयार किया, जिसमें उन्होंने 6 शर्तें रखीं कि जो भी राजा इन शर्तों को पूरा करेगा वही इस मन्दिर की आधारशिला अर्थात् नींव का पत्थर रखेगा। ये शर्तों इस प्रकार थीं:- ◾क) जिसका वंश उच्चकोटि का हो। ◾ ख) जिसका चरित्र आदर्श हो। ◾ ग) जो शराब व मांस का सेवन न करता हो। ◾ घ) जिसने एक से अधिक विवाह न किये हों। ◾ ङ) जिसके वंश ने मुगलों को अपनी लड़की न दी हो। ◾ च) जिसके दरबार में रण्डियां न नाचती हों। इस प्रस्ताव को सुनकर राजाओं में सन्नाटा छा गया और जमीन कुरेदने लगे। जब बाकी राजा नीचे गर्दन किये बैठे थे तो धौलपुर नरेश महाराजा उदयभानु सिंह राणा अपने स्थान से उठे जो इन सभी 6 शर्तों पर खरे उतर रहे थे। इस पर पं० मदन मोहन मालवीय ने हर्ष ध्वनि से उनके नाम का उदघोष किया तो शोरम गांव जिला मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश के जाट पहलवान हरज्ञान ने ‘नरेश धौलपुर जिन्दाबाद’ के नारे लगाये। इस पर मालवीय साहब ने कहा, महाराजा धौलपुर भानुसिंह राणा धौलपुर नरेश हमारे देश की शान हैं। इसके बाद पूरी सभा नारों से गूंज उठी। क्योंकि इन सभी शर्तों को पूर्णतया पूरी करने वाले वही एकमात्र राजा थे जो वहां पधारे थे। इस जाट नरेश का नाम मन्दिर के प्रांगण में स्थापित शिलालेख पर इस प्रकार अंकित है। ◾श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर - श्री महामना मालवीय पं० मदन मोहन मालवीय जी की प्रेरणा से मन्दिर की आधारशिला श्रीमान उदय भानुसिंह धौलपुर नरेश के कर कमलों द्वारा चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या रविवार विक्रमीय सम्वत् 1989 (अर्थात् सन् 1932) में स्थापित हुई। जाट नरेश का नाम व चित्र मन्दिर के बाएं बगीचे में संगमरमर के एक पत्थर पर अंकित है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमन्त्री श्रीमती वसुंधरा राजे इसी महाराजा उदयभानु राणा के राजकुमार से ब्याही थी जो बड़े गर्व से कहती हैं - “वह वीर जाटों की बहू है।” (पुस्तक - ‘भारत का इतिहास’ - एक अध्ययन, ‘जाट जाति प्रछन्न बौद्ध है’, ‘पंचायती इतिहास’ तथा Jats - The Ancient Rulers, ‘सिख इतिहास’, ‘जाट वीरों का इतिहास’ तथा ‘फ्रांस से कारगिल’ आदि-आदि)। . गर्व से कहो हम जाट हैं और जाट होने पै गर्व है ।

एक परिवार और उनकी दीवाली

कल संडे था, सो शॉपिंग के लिए मॉल गया था। बिलिंग में लंबी लाईन थी। मैं ट्रॉली लिए लाईन में खड़ा था। मेरे आगे एक फैमिली अपना बिलिंग करवा रहा था। बच्चे ट्रॉली से अपना मनपसंद समान उठाकर बिल के लिए रख रहे थे।* उनकी माँ ने भी दीवाली के डेकोरेशन के लिए खूब सारी चीजें ली थी और साईड में खड़े पापा की नज़र सिर्फ कंप्यूटर स्क्रीन पर थी, बिल के लगातार बढ़ रहे आंकड़े पर। अच्छी खासी अमाउंट हो जाने के बाद उन बच्चों के पापा ने कैशियर से आगे का सामान वापस रखने को कहा। बच्चे कहने लगे : "पापा इतना क्यों वापस कर दिया..??" ये झूमर मम्मी को कितना पसंद है।" माँ ने भी बच्चों के सुर में सुर मिलाए "अरे ले लो ना। दीवाली में कुछ नया तो लगना चाहिए।" "पापा ने सब बातों को अनसुना कर अपना वॉलेट निकाला। पैसे गिनकर देने के बाद उनके वॉलेट में सिर्फ एक 50 का नोट बचा था, जिस पर ना बच्चों का ध्यान था ना माँ का। बच्चे अभी भी डिमांड्स रख रहे थे और वो पिता अपने वॉलेट को वापस जेब में रखते वक़्त इतना थका हुआ महसूस कर रहा थे। मैं पीछे खड़ा उस पिता के चेहरे के भावों को पढ़ने की कोशिश कर रही था । बेशक वो पैसे जाने की वजह से दुःखी नहीं था, पर सामान वापस रखवाकर अपने परिवार की कुछ खुशियों को लौटाने के लिए दुःखी ज़रूर था। शायद ख़ुद को बेबस महसूस कर रहा था। चेहरे की झुर्रियों में उसके परिश्रम की आभा दिखाई दे रही थी। ट्रॉली में लदा हुआ सामान देखकर अंदाज़ा हो गया कि इसमें से शायद एक शर्ट भी उस बाप की नहीं थी, पर बीवी और बच्चों को अच्छी खासी खरीदारी करवाई थी।मैं सोच रही था कि हम सब माँ के बलिदानों, माँ के समर्पण और सहृदयता के गुणगान गाते हैं पर बिना कुछ कहे, पूरी दुनिया के उलाहनें तुम तो बड़े कंजूस हो, तुम्हें मेरी कोई कद्र नहीं, तुमने मुझे कभी समझा ही नहीं, तुम क्या जानो औरत होना क्या होता है, तुम नौकरी करने के सिवा करते ही क्या हो। मैं कितना कुछ करती हूँ, परिवार के लिए फिर भी..!! अनगिनत है जिसका रोना पत्नियां अक्सर बिना भूले करती है अनसुनी कर एक पिता कितना त्याग करता है अपने परिवार के लिए ये हम कभी सोचते है एक कुर्ते या साड़ी के लिए मुँह फुलाने वाली पत्नियां या एक एक्स्ट्रा पैर जूतों के लिए ज़मीन पर लेट जानेवाले बच्चे तो घर में या ऐसे शॉपिंग मॉल में कहीं पर भी मिल जाते हैं। पर अपनी पसंद का शर्ट ना लेने पर मुँह फुलाने वाला पति किसी ने देखा..?? या बीलिंग काउंटर छोड़कर चले जाने वाला पिता या पति किसी ने देखा..?? दीवाली हो या होली, शादी हो या सजावट.. हम सब अपनी अपनी मांगे और लिस्ट पापा को पकड़ा देते हैं.. पर उनका लिस्ट कौन देखता है..?? उनका लिस्ट भी कभी होता है..?? दीवाली आ रही है, सबके पति के एकाउंट में बोनस की अच्छी खासी रकम आएगी। हर पत्नी सोचती है इस साल बोनस के पैसों से ये लूंगी, वो लूंगी.. और पति बेचारा सोचता है किसको क्या दिलवाऊंगा इस दीवाली। उनकी तो शॉपिंग भी सबसे लास्ट में होती है। पत्नी वर्किंग हो या घरेलू दीवाली गिफ्ट तो पति ही देते हैं.. ऐसा एक अन-कहा नियम है हमारे यहाँ.. ये सब उनका प्यार, त्याग है। आपकी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए वो ऑफिस में बहुत कुछ झेलते हैं। कई पतियों ने तो इस महीनें ज्यादा से ज्यादा सेल बढ़ाने की कोशिश की होगी, ताकि तगड़ा इंसेंटिव मिले और परिवार की हर खुशियाँ कायम रहे। दिन रात ज्यादा से ज्यादा कैसे कमाया जाए। ये उनके दिमाग में हमेशा रहता है। उनकी इस ईमानदारी की कद्र करें।इस दीवाली उन के लिए भी कुछ स्पेशल कीजिये। 'गिफ़्ट' लेना उन्हें भी अच्छा लगता है, इस मामले में कोई भेदभाव नहीं होता। *||* दीवाली की खरीदारी करते वक़्त अपने पति की जेब की वज़न क्षमता को कतई नज़रंदाज़ ना करें। खर्चीली पत्नी बनना कोई शान की बात नहीं है। बाज़ार तो चीज़ों से भरे पड़े हैं पर अपना घर बाज़ार लगने लगे ऐसी अंधाधुंध खरीदारी से बचें। आपकी दीवाली आपके पतिदेव की जेबें खाली करने में नहीं, बल्कि प्यार के दिये जलाने में हैं ।

मंदिर मस्जिद हिन्दू ओर मुस्लिम

क्या कोई हिंदू किसी भी मुस्लिम देश में मस्जिद बनाने पर रोक लगा सकते है, या फिर किसी ईसाई देश में चर्च बनाने पर रोक लगा सकते है,! नहीं लगा सकते ना! तो फिर क्यों इस देश में 80% हिंदुओं के होते हुए भी, हमेशा हिंदुओं को ही समझौता करना पड़ता है! क्यों हिन्दू बार-बार अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट जैसी घटिया न्याय व्यवस्था के आदेश को मानने पर विवश होते हैं! यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट जैसी घटिया न्याय व्यवस्था पर ही वामपंथी कुत्ते कब्ज़ा करके बैठ गए है, जो एक हिरण और मासूम इंसानों के हत्यारे सलमान को तो बरी कर देती है, श्रीकृष्णा पर भद्दी टिप्पणी करने वाले घटिया प्रशांत भूषण पर कोई कार्यवाही नहीं होती! लेकिन दूसरी तरफ कमलेश तिवारी को पैगंबर पर टिप्पणी करने के आरोप में जेल में डाल देती है! साध्वी प्रज्ञा असीमानंद जैसे हजारों बेकसूर हिंदुओं पर कार्रवाई की जाती हैं! पैटल गन पर रोक लगाई जाती है लेकिन उन कश्मीर के जिहादी सुअरो के हमलो से देश के सैनिकों की रोज होने वाली मौत पर इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता! अरे आग लगाओ ऐसी घटिया न्याय व्यवस्था को आखिर तुम हिंदू ही ऐसी घटिया न्याय व्यवस्था पर क्यों निर्भर रहे! हिंदू और मुस्लिम लोगों के बीच में आपको एक अंतर हमेशा से देखने को मिलेगा कि मुसलमान आपको हर बात के लिए नीचे दिखाएंगे आपको हर चीज के लिए नीचे दिखाएंगे वह यह आपके साथ में बताएंगे कि हिंदू जो है वह नीच होते हैं हिंदू जो होते हैं वह क**** होते हैं हिंदू जो होते हैं वह ह**** होते हैं जबकि यह सब उल्टा होता है क्योंकि मुस्लिम वर्ग किस चीज हिंदू के साथ में कभी वफादारी नहीं कर सकते वह हमेशा उन को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं और समाज में गंदगी फैलाते हैं मैंने तो एक उदाहरण योगी आदित्यनाथ का देखा था और मैं उनका सपोर्ट भी करता हूं क्योंकि एक बार योगी आदित्यनाथ ने जब अजान हो रही थी और उधर उनका भाषण होने वाला था तो उन्होंने अजान को बंद करवा दिया था क्योंकि दिल की आरती भी तो जरूरी होती है तो इस तरह के स्वाद कभी-कभी होने भी चाहिए क्योंकि मंदिर मस्जिद हिंदू-मुस्लिम यह संवाद कभी बंद नहीं होने वाला है अगर इनको बंद करना है तो किसी ना किसी को आगे कदम बढ़ाना है और हम सब हिंदुओं को एक पत्र जरूर हो जाना है और मैं तो यह भी कहूंगा कि अगर कोई हिंदू मुसलमान के प्रति दबकर रहता है या मुसलमान के नीचे रहता है तो वह हिंदू कभी ऊपर नहीं आ सकता और एक सच यह भी है कि अगर एक मुसलमान ने अगर हिंदुओं के बीच में एक दुकान खरीद ली तो आने वाले कुछ समय के बाद यह संभव भी हो जाएगा कि 10 दुकानों के बीच में पहले एक दुकान मुसलमान और 9 दुकान हिंदू की होती थी लेकिन अभी आप देखोगे कि 9 दुकान मुसलमान की ओर एक हिंदू की होती है और उसी हिंदू तो बहुत जुल्म और बहुत अत्याचार करते हैं तो मैं सभी हिंदू भाइयों से यह अपील करूंगा कि अगर आपने इस पोस्ट को देखा है क्या इस पोस्ट को पड़ा है तो आप मुसलमानों के प्रति गलत रवैया भले ही मत अपनाया लेकिन हिंदुत्व के प्रति एकजुट होकर अपने देश के लिए अपने धर्म के लिए और अपनी जाति के लिए एकत्रित हो जाए तभी में हम सबकी भलाई के जय श्री राम हिन्दुओ एकत्र हो जाओ, एकता में ही शक्ति है ।

मोदी से पहले मोदी के बाद

जब तक भाजपा वाजपेयीजी की विचारधारा पर चलती रही, वो राम के बताये मार्ग पर चलती रही। मर्यादा, नैतिकता, शुचिता इनके लिए कड़े मापदंड तय किये गये थे। परन्तु कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी। जहाँ करोड़ों रुपये के घोटाले- घपले करने के बाद भी कांग्रेस बेशर्मी से अपने लोगों का बचाव करती रही, वहीं पार्टी फण्ड के लिए मात्र एक लाख रुपये ले लेने पर भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्षमण को हटाने में तनिक भी विलंब नहीं किया। परन्तु चुनावों में नतीजा?? वही ढाक के तीन पात... झूठे ताबूत घोटाला के आरोप पर तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडिस का इस्तीफा, परन्तु चुनावों में नतीजा?? वही ढाक के तीन पात... कर्नाटक में येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही येदियुरप्पा को भाजपा ने निष्कासित करने में कोई विलंब नहीं किया..... परन्तु चुनावों में नतीजा??? वही ढाक के तीन पात... खैर.... फिर होता है नरेन्द्र मोदी का पदार्पण । मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नक्शे कदम पर चलने वाली भाजपा को वो कर्मयोगी कृष्ण की राह पर ले आते हैं। कृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं। छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से, अनीति हो तो अनीति से..... अधर्मी को नष्ट करना ही उनका ध्येय होता है। इसीलिए वो अर्जुन को सिर्फ कर्म करने की शिक्षा देते हैं। कुल मिलाकर सार यह है कि, अभी देश दुश्मनों से घिरा हुआ है, नाना प्रकार के षडयंत्र रचे जा रहे हैं। इसलिए अभी हम नैतिकता को अपने कंधे पर ढोकर नहीं चल सकते हैं। नैतिकता को रखिये ताक पर, और यदि इस देश को बचाना चाहते हैं, तो सत्ता को अपने पास ही रखना होगा। वो चाहे किसी भी प्रकार से हो, साम दाम दंड भेद किसी भी प्रकार से.... बिना सत्ता के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं। इसलिए भाजपा के कार्यकर्ताओं को चाहिए कि, कर्ण का अंत करते समय कर्ण के विलापों पर ध्यान ना दें । सिर्फ ये देखें कि......... अभिमन्यु की हत्या के समय उनकी नैतिकता कहाँ चली गई थी..... कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंस गया तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, पार्थ देख क्या रहे हो, इसे समाप्त कर दो। संकट में घिरे कर्ण ने कहा, यह अधर्म है.....! भगवान कृष्ण ने कहा, अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले और द्रौपदी को भरी दरबार में वेश्या कहने वाले के मुख से आज अधर्म की बातें शोभा नहीं देती ....!! आज कांग्रेस जिस तरह से संविधान की बात कर रही है तो लग रहा है जैसे हम पुनः महाभारत युग में आ गए हैं... विश्वास रखो महाभारत का अर्जुन नहीं चूका था आज का अर्जुन भी नहीं चूकेगा *यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!* *अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृजाम्यहम !* चुनावी जंग में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं वह सब उचित है... . अटल बिहारी वाजपेयी की तरह एक वोट का जुगाड़ न करके आत्मसमर्पण कर देना क्या एक राजनीतिक चतुराई थी....??? अटलजी ने अपनी व्यक्तिगत नैतिकता के चलते एक वोट से अपनी सरकार गिरा डाली और पूरे देश को चोर लुटेरों के हवाले कर दिया..... साम, दाम, भेद, दण्ड राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनायी जाने वाली नीतियाँ हैं जिन्हें उपाय-चतुष्ठय (चार उपाय) कहते हैं.... राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं , उपाय चतुष्ठय के अलावा तीन अन्य हैं- माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल...!!! कांग्रेस ऐसा विपक्ष नहीं है जिसके साथ नैतिक - नैतिक खेल खेला जाए.... सीधा धोबी पछाड़ आवश्यक है....!!!

लालू और बड़े तुरामखां

लालू यादव को जानते हो। एक ऐसा आदमी जिसने अपनी लड़की की शादी में मेहमान लाने ले जाने के लिए पटना के शोरूम से नई नई गाड़िया शटर तोड़ के उठा ली थी, एक ऐसा आदमी जिसने पूरे 15 साल में बिहार को जंगलराज में तब्दील कर दिया, एक ऐसा आदमी जिसने अपहरण, फिरौती, सुपारी किलिंग को बिज़नेस बना दिया। जिसने अपनी अनपढ़ बीबी को भी सुपर चीफ मिनिस्टर बना दिया हो। यानी एक अकेला व्यक्ति जिसने एक राज्य को ही तबाह कर डाला हो। उस आदमी का बेटा कह रहा है कि उसकी पत्नी उसे यातना देती है, टॉर्चर करती है। और उससे बचने के लिये बेचारा तलाक के लिए भागा भागा फिर रहा है। सोचिये ये होती है बीबी, एक बाहुबली के बेटे को भी कुत्ता बना के रख दिया।। फिर आपकी और हमारी तो औकात ही क्या है। इसलिए गहरी सांस लीजिये, ठंडा पानी पीजिये और जैसी चल रही है वैसी ही चलने दीजिये। यह एक हास्य कविता जैसी मैंने आपको बताई गई लेकिन सच्चाई तो यह है कि खाली हास्य ही नहीं बल्कि लालू प्रसाद यादव बहुत ही नीच किसम का आदमी क्योंकि उसने चारा घोटाला गायों का चारा खा गया और अपनी अनपढ़ पत्नी राबड़ी देवी को भी उसने नहीं छोड़ा और आज ईश्वर ने उनके साथ इस तरह से अन्याय किया है उसको इस तरह से दंड दिया है कि वह आज घूमने फिरने के लायक भी नहीं है 10 बीमारियों से ढूंढ रहा है 10 बीमारियों से परेशान है खाने में पीने में जाने में हगने में मुटने में सब जगह से उसको समस्या है क्योंकि लालू प्रसाद यादव ने अपने जीवनकाल में कभी कुछ अच्छा किया नहीं है जिस आदमी ने गायों का चारा खा गया है उसको कैसे माफ करेगा लालू एक ऐसा इंसान है जिसको शायद ईश्वर भी कभी माफ नहीं करेगा लालू एक ऐसा इंसान है जिसको शायद उसके चाहने वाले जो पहले थे वह आज भी माफ नहीं करेंगे क्योंकि लालू ही एक ऐसा आदमी है जिसने भारत में गाय को माता मानते हैं जिस गाय का दूध पीकर घी दही छाछ मक्खन हर तरह से गाय हमें एक मां की तरह रहती है उस मां के मुंह से निवाला छीन लिया मतलब की गायों का चारा तक खा गया उस गाय की भी उसको हाय लगेगी और वह अपने जीवन में कभी सुखी नहीं होगा क्योंकि गोमाता इस भारत की सबसे बड़ी मां मानी जाती है जिसको भी लालू ने नहीं छोड़ा और आज यह पोजीशन है कि लालू को कोई पूछता भी नहीं है और मैं तो यह भी कहूंगा कि लालू जिस दिन राजनीति में वापस आएगा उस दिन उसका राजनीतिक कैरियर खत्म है और मैं मांगू से यह प्रार्थना करूंगा कि इस धरती पर इस तरह के आदमी को आप कभी मत उतारना जय गौ मां क्योंकि आपके पिताजी लालू से बड़े तुर्रमखां तो है नहीं।

रशिया ओर कुछ खाश बाते

मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ राशि स्वरूप: मेंढा जैसा, राशि स्वामी- मंगल। 1. राशि चक्र की सबसे पहली राशि मेष है। यह राशि चर (चलित) स्वभाव की होती है। राशि का चिह्न मेढ़ा संघर्ष का प्रतीक है। 2. मेष राशि वाले आकर्षक होते हैं। इनका स्वभाव कुछ रुखा हो सकता है। दिखने में सुंदर होते हैं। यह लोग किसी के दबाव में काम करना पसंद नहीं करते। इनका चरित्र साफ-सुथरा एवं आदर्शवादी होता है। 3. बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं। समाज में इनका वर्चस्व होता है और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। 4. निर्णय लेने में जल्दबाजी करते हैं तथा जिस काम को हाथ में लिया है, उसे पूरा किए बिना पीछे नहीं हटते। 5. इनके स्वभाव में कभी-कभी लापरवाही भी आ जाती है। लालच करना इस राशि के लोगों के स्वभाव मे नहीं होता। दूसरों की मदद करना इन्हें अच्छा लगता है। 6. इनकी कल्पना शक्ति की अच्छी रहती है। सोचते बहुत ज्यादा हैं। 7. जैसा खुद का स्वभाव है, वैसी ही अपेक्षा दूसरों से भी करते हैं। इस कारण कई बार धोखा भी खाते हैं। 8. इन्हें गुस्सा बहुत जल्दी आता है। किसी भी चुनौती को स्वीकार करने की आदत होती है। 9. अपना अपमान जल्दी नहीं भूलते हैं, मन में दबा के रखते हैं। मौका मिलने पर बदला लेने से नहीं चूकते। 10. अपनी जिद पर अड़े रहना भी मेष राशि का स्वभाव है। इनके भीतर एक कलाकार छिपा होता है। 11. ये लोग हर काम करने में सक्षम हो सकते हैं। स्वयं को श्रेष्ठ समझते हैं। 12. अपनी मर्जी के अनुसार ही दूसरों से काम करवाना चाहते हैं। इस कारण इनके कई दुश्मन खड़े हो जाते हैं। 13. एक ही काम को बार-बार करना इस राशि के लोगों को पसंद नहीं होता। 14. एक ही जगह ज्यादा दिनों तक रहना भी अच्छा नहीं लगता है। नेतृत्व क्षमता अच्छी होती है। 15. कम बोलना, जिद करना इनका स्वभाव है। कभी-कभी प्रेम संबंध में दुखी भी रहते हैं। ★★★★★★★★★★★★★★★ वृष- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो राशि स्वरूप- बैल जैसा राशि स्वामी- शुक्र। राशि परिचय 1. इस राशि का चिह्न बैल है। बैल अधिक पारिश्रमी और ताकतवर होता है, साधारणत: ये जीव शांत भी रहता है, लेकिन गुस्सा आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है। इसी प्रकार का स्वभाव वृष राशि का भी होता है। 2. वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं। 3. सरकारी ठेकेदारी का काम करवाने की योग्यता इस राशि के लोगों में रहती है। 4. इनके जीवन में पिता-पुत्र का कलह रहता है, व्यक्ति का मन सरकारी कामों की ओर रहता है। 5. पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा धन कमाने का साधन होता है। इन लोगों को मसालेदार भोजन अधिक पसंद होता है। 6. इन लोगों के पास ज्ञान अधिक होता है, जिससे अहम का भाव इनके स्वभाव में आ जाता है। ये लोग जब भी कोई बात करते हैं तो स्वाभिमान की बात करते हैं। 7. सरकारी क्षेत्रों की शिक्षा और सरकारी काम इनको आकर्षित करते हैं। 8. यदि कुंडली में केतु का बल मिल जाता है तो व्यक्ति शासन में मुख्य अधिकारी बनने की योग्यता रखता है। मंगल के प्रभाव से व्यक्ति के अंदर मानसिक गर्मी बढ़ती है। 9. कारखानों, स्वास्थ्य कार्यों और जनता के झगड़े सुलझाने का काम ये लोग कर सकते हैं। इनकी माता के जीवन में परेशानियां ज्यादा होती हैं। 10. ये लोग सौन्दर्य प्रेमी और कला प्रिय होते हैं। कला के क्षेत्र में नाम कमाते हैं। 11. माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण में तालमेल लाता है। ये लोग अपने जीवनसाथी के अधीन रहना पसंद करते हैं। 12. चन्द्र-बुध के कारण इन लोगों को संतान के रूप में कन्या मिल सकती है। माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है। 13. इनके जीवन में व्यापारिक यात्राएं काफी होती हैं, अपने ही बनाए हुए उसूलों पर जीवन चलाते हैं। 14. हमेशा दिमाग में कोई योजना बनती रहती है। कई बार खुद के षडयंत्रों में खुद ही फंस भी जाते हैं। 15. रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है, इस कारण इनके मन में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है। ★★★★★★★★★★★★★★★ मिथुन- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह राशि स्वरूप- स्त्री-पुरुष आलिंगनबद्ध, राशि स्वामी- बुध। 1. यह राशि चक्र की तीसरी राशि है। राशि का प्रतीक युवा दम्पति है, यह द्वि-स्वभाव वाली राशि है। 2. मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण के स्वामी मंगल-शुक्र हैं। मंगल शक्ति और शुक्र माया का प्रतीक है। 3. शुक्र के कारण ये लोग जीवनसाथी के लिए हमेशा शक्ति बन रहते हैं, कभी-कभी घरेलू कारणों से आपस में तनाव उत्पन्न हो सकता है। 4. यदि इनकी कुंडली में मंगल और शुक्र की युति है तो इन लोगों में स्त्री रोगों को परखने की अद्भुत क्षमता होती है। 5. ये लोग वाहनों की अच्छी जानकारी रखते हैं। नए-नए वाहनों और सुख के साधनों के प्रति अत्यधिक आकर्षण होता है। इनका घरेलू साज-सज्जा के प्रति अधिक झुकाव होता है। 6. मंगल के कारण व्यक्ति वचनों का पक्का बन जाता है। 7. गुरु आसमान का राजा है तो राहु गुरु का शिष्य है। कुंडली में इन ग्रहों की स्थिति से इस राशि के लोगों में ईश्वर की भक्ति को बढ़ाते हैं। 8. इस राशि के लोगों में ब्रह्माण्ड को समझने की योग्यता होती है। ये लोग वायुयान और सैटेलाइट के बारे में ज्ञान बढ़ाते हैं। 9. यदि कुंडली में राहु-शनि एक साथ हैं तो व्यक्ति की शिक्षा और शक्ति बढ़ती रहती है। व्यक्ति का कार्य शिक्षा स्थानों में या बिजली, पेट्रोल या वाहन वाले कामों की ओर होता है। 10. व्यक्ति एक दायरे में रह कर ही काम कर पाते हैं और पूरा जीवन लाभ प्राप्त करते हैं। व्यक्ति के अंदर एक मर्यादा होती है जो उसे धर्म में बांधे रखती है। व्यक्ति सामाजिक और धार्मिक कार्यों में लगा रहता है। 11. यदि कुंडली में गुरु और मंगल एक साथ हों तो व्यक्ति अपने क्षेत्र में उच्च शिखर तक पहुंच सकता है। 12. व्यक्ति अपने ही विचारों में उलझता है। मिथुन राशि पश्चिम दिशा की प्रतीक है। इसका स्वामी बुध है। 13. बुध की धातु पारा है और इसका स्वभाव जरा-सी गर्मी-सर्दी में ऊपर नीचे होने वाला है। यही स्वभाव इन लोगों का भी होता है। दूसरे की मन की बातें पढ़ने, दूरदृष्टि, बहुमुखी प्रतिभा, अधिक चतुराई से कार्य करने की क्षमता होती है। 14. व्यक्ति को बुद्धि वाले कामों में सफलता मिलती है। वाणी की चतुरता से इस राशि के लोग कुशल कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ भी बन जाते हैं। 15. हर काम में जिज्ञासा और खोजी दिमाग होने के कारण इस राशि के लोग जांच-पड़ताल में भी सफल होते हैं। ये लोग पत्रकार, लेखक, भाषाओं की जानकारी रखने वाले, योजनाकार भी बन सकते हैं। ★★★★★★★★★★★★★★★ कर्क- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो राशि स्वरूप- केकड़ा, राशि स्वामी- चंद्रमा। 1. ये राशि चक्र की चौथी राशि है। इस राशि का चिह्न केकड़ा है। यह चर राशि है। 2. राशि स्वामी चन्द्रमा है। इसके अन्तर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का अंतिम चरण, पुष्य नक्षत्र के चारों चरण तथा अश्लेषा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं। 3. कर्क राशि के लोग कल्पनाशील होते हैं। कुंडली में शनि-सूर्य एक साथ हों तो व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं और व्यक्ति में अहम की भावना बढ़ाते हैं। 4. जिस स्थान पर भी ये लोग काम करने की इच्छा करते हैं, वहां परेशानी ज्यादा मिलती है। 5. कुंडली में शनि-बुध की युति व्यक्ति को होशियार बना देती है। कुंडली में शनि-शुक्र की युति से व्यक्ति को धन प्राप्त होता है। 6. शुक्र व्यक्ति को सजने-संवरने की कला देता है और शनि अधिक आकर्षण देता है। 7. व्यक्ति उपदेशक बन सकता है। कुंडली में बुध की अच्छी स्थिति से गणित की समझ और शनि से लिखने का प्रभाव बढ़ता है। कम्प्यूटर के कामों में व्यक्ति को सफलता मिलती है। 8. व्यक्ति श्रेष्ठ बुद्धि वाला, जल मार्ग से यात्रा पसंद करने वाला, ज्योतिषी, सुगंधित पदार्थों का का काम करने वाला होता है। वह मातृभक्त होता है। 9. केकड़ा जब किसी चीज या जीव को अपने पंजों में जकड़ लेता है तो उसे आसानी से छोड़ता नहीं है। उसी तरह ये लोग भी अपने लोगों को तथा अपने विचारों को आसानी से छोड़ते नहीं हैं। 10. यह भावना उन्हें ग्रहणशील, एकाग्रता और धैर्य के गुण प्रदान करती है। 11. इनका मूड बदलते देर नहीं लगती है। कल्पनाशक्ति और स्मरण शक्ति बहुत तेज होती है। 12. उनके लिए अतीत का महत्व होता है। मित्रता को जीवन भर निभाना जानते हैं, अपनी इच्छा के स्वामी होते हैं। 13. ये सपना देखने वाले होते हैं, परिश्रमी और उद्यमी होते हैं। 14. व्यक्ति बचपन में दुर्बल होते हैं, लेकिन आयु के साथ-साथ उनके शरीर का विकास होता जाता है। 15. इन लोगों को भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। ★★★★★★★★★★★★★★★ सिंह- मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे राशि स्वरूप- शेर जैसा, राशि स्वामी- सूर्य। 1. सिंह राशि पूर्व दिशा की प्रतीक है। इसका चिह्न शेर है। राशि का स्वामी सूर्य है और इस राशि का तत्व अग्नि है। 2. इसके अन्तर्गत मघा नक्षत्र के चारों चरण, पूर्वा फाल्गुनी के चारों चरण और उत्तराफाल्गुनी का पहला चरण आता है। 3. केतु-मंगल की युति कुंडली में हो तो व्यक्ति दिमागी रूप से तेज होता है। केतु-शुक्र की युति कुंडली में हो तो व्यक्ति सजावट और सुन्दरता के प्रति आकर्षण को बढ़ाता है। 4. केतु-बुध के प्रभाव से कल्पना करने और हवाई किले बनाने की इनकी सोच होती है। चंद्र-केतु की युति कुंडली में हो तो व्यक्ति की कल्पना शक्ति का विकास होता है। 5. व्यक्ति का सुन्दरता के प्रति मोह होता है। व्यक्ति में अपने प्रति स्वतंत्रता की भावना रहती है और किसी की बात नहीं मानता। 6. ये लोग पित्त और वायु विकार से परेशान रहने वाले, रसीली वस्तुओं को पसंद करने वाले होते हैं। कम भोजन करना और खूब घूमना, इनकी आदत होती है। 7. इनमें हिम्मत बहुत अधिक होती है और मौका आने पर जोखिमभरे काम करने से भी नहीं चूकते। 8. व्यक्ति जीवन के पहले दौर में सुखी, दूसरे दौर में दुखी और अंतिम अवस्था में पूर्ण सुखी होता है। 9. सिंह राशि वाले लोग हर काम शाही ढंग से करते हैं, जैसे सोचना शाही, करना शाही, खाना शाही और रहना शाही। 10. इस राशि वाले लोग जुबान के पक्के होते हैं। ये लोग जो खाते हैं वही खाएंगे, अन्यथा भूखा रहना पसंद करेंगे। 11. व्यक्ति कठोर मेहनत करने वाले, धन के मामलों में बहुत ही भाग्यशाली होते हैं। सोना, पीतल और हीरे-जवाहरात का व्यवसाय इन्हें बहुत फायदा देने वाले होते हैं। 12. यदि ये लोग सरकार और नगर पालिका में कार्यरत हैं तो इन्हें लाभ अधिक मिलता है। व्यक्ति की वाणी और चाल में शालीनता पाई जाती है। 13. इस राशि वाले लोग सुगठित शरीर के मालिक होते हैं। नाचना भी इनकी एक विशेषता होती है। इस राशि वाले या तो बिल्कुल स्वस्थ रहते हैं या फिर अधिकतर बीमार रहते हैं। 14. जिस वातावरण में इनको रहना चाहिए, अगर वह न मिले तो दुखी रहने लगते हैं। 15. रीढ़ की हड्डी की बीमारी या चोटों से परेशानियां हो सकती हैं। इस राशि के लोगों को हृदय रोग, धड़कन का तेज होना, लू लगना और आदि बीमारी होने की संभावनाएं होती हैं। ★★★★★★★★★★★★★★★ कन्या- ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो राशि स्वरूप- कन्या, राशि स्वामी- बुध। 1. राशि चक्र की छठी कन्या राशि दक्षिण दिशा की प्रतीक है। इस राशि का चिह्न हाथ में फूल लिए कन्या है। राशि का स्वामी बुध है। इसके अंतर्गत उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण, चित्रा के पहले दो चरण और हस्त नक्षत्र के चारों चरण आते हैं। 2. कन्या राशि के लोग बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी होते हैं। भावुक भी होते हैं और वह दिमाग की अपेक्षा दिल से ज्यादा काम लेते हैं। 3. इस राशि के लोग संकोची, शर्मीले और झिझकने वाले होते हैं। 4. मकान, जमीन और सेवाओं वाले क्षेत्र में इस राशि के व्यक्ति कार्य करते हैं। 5. स्वास्थ्य की दृष्टि से फेफड़ों में शीत, पाचनतंत्र एवं आंतों से संबंधी बीमारियां इन लोगों मे मिलती हैं। इन्हें पेट की बीमारी से कष्ट होता है। पैर के रोगों से भी सचेत रहना चाहिए। 6. बचपन से युवावस्था की अपेक्षा इनकी वृद्धावस्था अधिक सुखी और ज्यादा स्थिर होती है। 7. इस राशि वाले पुरुषों का शरीर भी स्त्रियों की भांति कोमल हो सकता है। ये लोग नाजुक और कलाओं से प्रेम करने वाले लोग होते हैं। 8. ये अपनी योग्यता के बल पर उच्च पद पर पहुंचते हैं। विपरीत परिस्थितियां भी इन्हें डरा नहीं सकतीं और ये अपनी सूझबूझ, धैर्य, चातुर्य से आगे बढ़ते रहते हैं। 9. बुध ग्रह का प्रभाव इनके जीवन मे स्पष्ट झलकता है। अच्छे गुण, विचारपूर्ण जीवन, बुद्धिमत्ता इस राशि के लोगों में देखने को मिलती है। 10. शिक्षा और जीवन में सफलता के कारण इनके स्वभाव से शर्म तो कम हो जाती है, लेकिन नम्रता तो इनका स्वाभाविक गुण है। 11. इनको अकारण क्रोध नहीं आता, लेकिन जब क्रोध आता है तो जल्दी समाप्त नहीं होता। जिस कारण क्रोध आता है, उसके प्रति घृणा की भावना इनके मन में घर कर जाती है। 12. इनमें भाषण देने व बातचीत करने की अच्छी कला होती है। संबंधियों से इन्हें विशेष लाभ नहीं होता है, इनका वैवाहिक जीवन भी सामान्य नहीं होता है। 13. इनके प्रेम संबंध सफल नहीं होते हैं। करीबी लोगों के साथ इनके झगड़े चलते रहते हैं। 14. ऐसे व्यक्ति धार्मिक विचारों में आस्था रखते हैं, लेकिन ये लोग किसी विशेष मत के नहीं होते हैं। इन्हें बहुत यात्राएं भी करनी पड़ती है तथा विदेश जाने की भी संभावनाएं रहती हैं। जिस काम में हाथ डालते हैं, लगन के साथ पूरा करके ही छोड़ते हैं। 15. इस राशि वाले लोग अपरिचित लोगों में अधिक लोकप्रिय होते हैं। वैसे इन लोगों की मित्रता किसी भी प्रकार के व्यक्ति के साथ हो सकती है। ★★★★★★★★★★★★★★★ तुला- रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते राशि स्वरूप- तराजू जैसा, राशि स्वामी- शुक्र। 1. तुला राशि का चिह्न तराजू है और यह राशि पश्चिम दिशा की प्रतीक है, यह वायुतत्व की राशि है। शुक्र राशि का स्वामी है। इस राशि वालों को कफ की समस्या होती है। 2. इस राशि के पुरुष सुंदर, आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं। आंखों में चमक व चेहरे पर प्रसन्नता झलकती है। इनका स्वभाव सम होता है। 3. ये लोग किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होते, दूसरों को प्रोत्साहन देना, सहारा देना इनका स्वभाव होता है। ये व्यक्ति कलाकार होते हैं। 4. ये लोग व्यावहारिक भी होते हैं और इनके मित्र इन्हें पसंद करते हैं। 5. तुला राशि की स्त्रियां आकर्षक होती हैं। इनका स्वभाव खुशमिजाज व मुस्कान बहुत ही सुंदर होती है। बुद्धि वाले काम करने में इनकी अधिक रुचि होती है। 6. घर की साज-सज्जा और खुद को सुंदर दिखाने का शौक रहता है। कला, गायन आदि घरेलू कामों में दक्ष होती हैं। बच्चों से बेहद जुड़ाव रहता है। 7. तुला राशि के बच्चे सीधे, संस्कारी और आज्ञाकारी होते हैं। घर में रहना अधिक पसंद करते हैं। खेलकूद व कला के क्षेत्र में रुचि रखते हैं। 8. तुला राशि के लोग दुबले-पतले, लम्बे व आकर्षक व्यक्तिव वाले होते हैं। जीवन में आदर्शवाद व व्यवहारिकता में पर्याप्त संतुलन रखते हैं। 9. इनकी आवाज सभी को अच्छी लगती है। चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान छाई रहती है। 10. इन्हें ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है। ये अच्छे साथी हैं, चाहें वह वैवाहिक जीवन हो या व्यावसायिक जीवन। 11. अपने व्यवहार में बहुत न्यायवादी व उदार होते हैं। कला और साहित्य से जुड़े रहते हैं। इन्हें गीत, संगीत, यात्रा आदि का शौक रखने वाले व्यक्ति अधिक अच्छे लगते हैं। 12. लड़कियां आत्म विश्वास से भरपूर होती हैं। मनपसंद रंग गहरा नीला व सफेद होते हैं। वैवाहिक जीवन में स्थायित्व पसंद आता है। 13. वाद-विवाद में समय व्यर्थ नहीं करती हैं। सामाजिक पार्टियों, उत्सवों में रुचिपूर्वक भाग लेती हैं। 14. इनके बच्चे पढ़ाई या नौकरी आदि कारणों से दूर जा सकते हैं। 15. ये एक कुशल मां साबित होती हैं जो कि अपने बच्चों को उचित शिक्षा व आत्मविश्वास प्रदान करती हैं। ★★★★★★★★★★★★★★★ वृश्चिक- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू राशि स्वरूप- बिच्छू जैसा, राशि स्वामी- मंगल। 1. वृश्चिक राशि का चिह्न बिच्छू है और यह राशि उत्तर दिशा की प्रतीक है। वृश्चिक राशि जलतत्व की राशि है। इसका स्वामी मंगल है। यह स्थिर राशि है। 2. कुंडली में मंगल की कमजोर स्थिति से रोग हो सकते हैं। ये लोग एलर्जी से भी अक्सर परेशान रहते हैं। विशेषकर जब चंद्रमा कमजोर हो। 3. वृश्चिक राशि वालों में दूसरों को आकर्षित करने की अच्छी क्षमता होती है। इस राशि के लोग बहादुर, भावुक होने के साथ-साथ कामुक भी होते हैं। 4. इनकी शारीरिक संरचना अच्छी तरह से विकसित होती है। इनके कंधे चौड़े होते हैं। इनमें शारीरिक व मानसिक शक्ति प्रचूर मात्रा में होती है। 5. इन्हें बेवकूफ बनाना आसान नहीं होता है, इसलिए कोई भी इन्हें धोखा नहीं दे सकता। ये हमेशा साफ-सुथरी और सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं। 6. ये लोग ज्यादातर दूसरों के विचारों का विरोध करते हैं। कभी-कभी ये आदत इनके विरोध का कारण भी बन सकती है। 7. ये अक्सर विविधता की तलाश में रहते हैं। वृश्चिक राशि के लड़के बहुत कम बोलते होते हैं। इन्हें दुबली-पतली लड़कियां आकर्षित करती हैं। 8. वृश्चिक वाले एक जिम्मेदार गृहस्थ की भूमिका निभाते हैं। अति महत्वाकांक्षी और जिद्दी होते हैं। अपने रास्ते चलते हैं मगर किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते। 9. लोगों की गलतियों और बुरी बातों को याद रखते हैं और समय आने पर उनका उत्तर भी देते हैं। इनकी वाणी कटु और गुस्सा तेज होता है मगर मन साफ होता है। दूसरों में दोष ढूंढने की आदत होती है। जोड़-तोड़ की राजनीति में चतुर होते हैं। 10. इस राशि की लड़कियां तीखे नयन-नक्ष वाली होती हैं। यह ज्यादा सुन्दर न हों तब भी इनमें आकर्षण रहता है। इनका बातचीत करने का विशेष अंदाज होता है। 11. ये बुद्धिमान और भावुक होती हैं। इनकी इच्छा शक्ति बहुत दृढ़ होती है। स्त्रियां जिद्दी और अति महत्वाकांक्षी होती हैं। थोड़ी स्वार्थी प्रवृत्ति की भी होती हैं। 12. स्वतंत्र निर्णय लेना इनकी आदत में होता है। मायके से अधिक स्नेह रहता है। नौकरीपेशा होने पर अपना वर्चस्व बनाए रखती हैं। 13. इन लोगों में काम करने की क्षमता काफी अधिक होती है। वाणी की कटुता होती है, सुख-साधनों की लालसा सदैव बनी ही रहती है। 14. ये व्यक्ति जिद्दी होते हैं, काम के प्रति लगन रखते हैं। ये व्यक्ति उदार व आत्मविश्वासी भी होते है। 15. वृश्चिक राशि के बच्चे परिवार से अधिक स्नेह रखते हैं। कम्प्यूटर-टीवी का बेहद शौक होता है। दिमागी शक्ति तीव्र होती है, खेलों में इनकी रुचि होती है। ★★★★★★★★★★★★★★★ धनु- ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे राशि स्वरूप- धनुष उठाए हुए, राशि स्वामी- बृहस्पति। 1. धनु द्वि-स्वभाव वाली राशि है। इस राशि का चिह्न धनुषधारी है। यह राशि दक्षिण दिशा की प्रतीक है। 2. धनु राशि वाले काफी खुले विचारों के होते हैं। जीवन के अर्थ को अच्छी तरह समझते हैं। 3. दूसरों के बारे में जानने की कोशिश में हमेशा करते रहते हैं। 4. धनु राशि वालों को रोमांच काफी पसंद होता है। ये निडर व आत्म विश्वासी होते हैं। ये अत्यधिक महत्वाकांक्षी और स्पष्टवादी होते हैं। 5. स्पष्टवादिता के कारण दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचा देते हैं। 6. इनके अनुसार जो इनके द्वारा परखा हुआ है, वही सत्य है। इसीलिए इनके मित्र कम होते हैं। ये धार्मिक विचारधारा से दूर होते हैं। 7. धनु राशि के लड़के मध्यम कद-काठी के होते हैं। इनके बाल भूरे व आंखें बड़ी-बड़ी होती हैं। इनमें धैर्य की कमी होती है। 8. इन्हें मेकअप करने वाली लड़कियां पसंद हैं। इन्हें भूरा और पीला रंग प्रिय होता है। 9. अपनी पढ़ाई और करियर के कारण अपने जीवन साथी और विवाहित जीवन की उपेक्षा कर देते हैं। पत्नी को शिकायत का मौका नहीं देते और घरेलू जीवन का महत्व समझते हैं। 10. धनु राशि की लड़कियां लंबे कदमों से चलने वाली होती हैं। ये आसानी से किसी के साथ दोस्ती नहीं करती हैं। 11. ये एक अच्छी श्रोता होती हैं और इन्हें खुले और ईमानदारी पूर्ण व्यवहार के व्यक्ति पसंद आते हैं। इस राशि की स्त्रियां गृहणी बनने की अपेक्षा सफल करियर बनाना चाहती है। 12. इनके जीवन में भौतिक सुखों की महत्ता रहती है। सामान्यत: सुखी और संपन्न जीवन व्यतीत करती हैं। 13. इस राशि के व्यक्ति ज्यादातर अपनी सोच का विस्तार नहीं करते एवं कई बार कन्फयूज रहते हैं। एक निर्णय पर पंहुचने पर इनको समय लगता है एवं यह देरी कई बार नुकसानदायक भी हो जाती है। 14. ज्यादातर यह लोग दूसरों के मामलों में दखल नहीं देते एवं अपने काम से काम रखते हैं। 15. इनका पूरा जीवन लगभग मेहनत करके कमाने में जाता है या यह अपने पुश्तैनी कार्य को ही आगे बढाते हैं। ★★★★★★★★★★★★★★★ मकर- भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी राशि स्वरूप- मगर जैसा, राशि स्वामी- शनि। 1. मकर राशि का चिह्न मगरमच्छ है। मकर राशि के व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होते हैं। यह सम्मान और सफलता प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य कर सकते हैं। 2. इनका शाही स्वभाव व गंभीर व्यक्तित्व होता है। आपको अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है। 3. इन्हें यात्रा करना पसंद है। गंभीर स्वभाव के कारण आसानी से किसी को मित्र नहीं बनाते हैं। इनके मित्र अधिकतर कार्यालय या व्यवसाय से ही संबंधित होते हैं। 4. सामान्यत: इनका मनपसंद रंग भूरा और नीला होता है। कम बोलने वाले, गंभीर और उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को ज्यादा पसंद करते हैं। 5. ईश्वर व भाग्य में विश्वास करते हैं। दृढ़ पसंद-नापसंद के चलते इनका वैवाहिक जीवन लचीला नहीं होता और जीवनसाथी को आपसे परेशानी महसूस हो सकती है। 6. मकर राशि के लड़के कम बोलने वाले होते हैं। इनके हाथ की पकड़ काफी मजबूत होती है। देखने में सुस्त, लेकिन मानसिक रूप से बहुत चुस्त होते हैं। 7. प्रत्येक कार्य को बहुत योजनाबद्ध ढंग से करते हैं। 8. आपकी खामोशी आपके साथी को प्रिय होती है। अगर आपका जीवनसाथी आपके व्यवहार को अच्छी तरह समझ लेता है तो आपका जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है। 9. आप जीवन साथी या मित्रों के सहयोग से उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। 10. मकर राशि की लड़कियां लम्बी व दुबली-पतली होती हैं। यह व्यायाम आदि करना पसंद करती हैं। लम्बे कद के बाबजूद आप ऊंची हिल की सैंडिल पहनना पसंद करती हैं। 11. पारंपरिक मूल्यों पर विश्वास करने वाली होती हैं। छोटे-छोटे वाक्यों में अपने विचारों को व्यक्त करती हैं। 12. दूसरों के विचारों को अच्छी तरह से समझ सकती हैं। इनके मित्र बहुत होते हैं और नृत्य की शौकिन होती हैं। 13. इनको मजबूत कद-कठी के व्यक्ति बहुत आकर्षित करते हैं। अविश्वसनीय संबंधों में विश्वास नहीं करती हैं। 14. अगर आप करियर वुमन हैं तो आप कार्य क्षेत्र में अपना अधिकतर समय व्यतीत करती हैं। 15. आप अपने घर या घरेलू कार्यों के विषय में अधिक चिंता नहीं करती है ★★★★★★★★★★★★★★★ कुंभ- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा राशि स्वरूप- घड़े जैसा, राशि स्वामी- शनि। 1. राशि चक्र की यह ग्यारहवीं राशि है। कुंभ राशि का चिह्न घड़ा लिए खड़ा हुआ व्यक्ति है। इस राशि का स्वामी भी शनि है। शनि मंद ग्रह है तथा इसका रंग नीला है। इसलिए इस राशि के लोग गंभीरता को पसंद करने वाले होते हैं एवं गंभीरता से ही कार्य करते हैं। 2. कुंभ राशि वाले लोग बुद्धिमान होने के साथ-साथ व्यवहारकुशल होते हैं। जीवन में स्वतंत्रता के पक्षधर होते हैं। प्रकृति से भी असीम प्रेम करते हैं। 3. शीघ्र ही किसी से भी मित्रता स्थपित कर सकते हैं। आप सामाजिक क्रियाकलापों में रुचि रखने वाले होते हैं। इसमें भी साहित्य, कला, संगीत व दान आपको बेहद पसंद होता हैं। 4. इस राशि के लोगों में साहित्य प्रेम भी उच्च कोटि का होता है। 5. आप केवल बुद्धिमान व्यक्तियों के साथ बातचीत पसंद करते हैं। कभी भी आप अपने मित्रों से असमानता का व्यवहार नहीं करते हैं। 6. आपका व्यवहार सभी को आपकी ओर आकर्षित कर लेता है। 7. कुंभ राशि के लड़के दुबले होते हैं। आपका व्यवहार स्नेहपूर्ण होता है। इनकी मुस्कान इन्हें आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करती है। 8. इनकी रुचि स्तरीय खान-पान व पहनावे की ओर रहती है। ये बोलने की अपेक्षा सुनना ज्यादा पसंद करते हैं। इन्हें लोगों से मिलना जुलना अच्छा लगता है। 9. अपने व्यवहार में बहुत ईमानदार रहते हैं, इसलिये अनेक लड़कियां आपकी प्रशंसक होती हैं। आपको कलात्मक अभिरुचि व सौम्य व्यक्तित्व वाली लड़कियां आकर्षित करती हैं। 10. अपनी इच्छाओं को दूसरों पर लादना पसंद नहीं करते हैं और अपने घर परिवार से स्नेह रखते हैं। 11. कुंभ राशि की लड़कियां बड़ी-बड़ी आंखों वाली व भूरे बालों वाली होती हैं। यह कम बोलती हैं, इनकी मुस्कान आकर्षक होती है। 12. इनका व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है, किन्तु आसानी से किसी को अपना नहीं बनाती हैं। ये अति सुंदर और आकर्षक होती हैं। 13. आप किसी कलात्मक रुचि, पेंटिग, काव्य, संगीत, नृत्य या लेखन आदि में अपना समय व्यतीत करती हैं। 14. ये सामान्यत: गंभीर व कम बोलने वाले व्यक्तियों के प्रति आकर्षित होती हैं। 15. इनका जीवन सुखपूर्वक व्यतित होता है, क्योंकि ये ज्यादा इच्छाएं नहीं करती हैं। अपने घर को भी कलात्मक रूप से सजाती हैं। ✔मीन- दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची राशि स्वरूप- मछली जैसा, राशि स्वामी- बृहस्पति। 1. मीन राशि का चिह्न मछली होता है। मीन राशि वाले मित्रपूर्ण व्यवहार के कारण अपने कार्यालय व आस पड़ोस में अच्छी तरह से जाने जाते हैं। 2. आप कभी अति मैत्रीपूर्ण व्यवहार नहीं करते हैं। बल्कि आपका व्यवहार बहुत नियंत्रित रहता है। ये आसानी से किसी के विचारों को पढ़ सकते हैं। 3. अपनी ओर से उदारतापूर्ण व संवेदनाशील होते हैं और व्यर्थ का दिखावा व चालाकी को बिल्कुल नापसंद करते हैं। 4. एक बार किसी पर भी भरोसा कर लें तो यह हमेशा के लिए होता है, इसीलिये आप आपने मित्रों से अच्छा भावानात्मक संबंध बना लेते हैं। 5. ये सौंदर्य और रोमांस की दुनिया में रहते हैं। कल्पनाशीलता बहुत प्रखर होती है। अधिकतर व्यक्ति लेखन और पाठन के शौकीन होते हैं। आपको नीला, सफेद और लाल रंग-रूप से आकर्षित करते हैं। 6. आपकी स्तरीय रुचि का प्रभाव आपके घर में देखने को मिलता है। आपका घर आपकी जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 7. अपने धन को बहुत देखभाल कर खर्च करते हैं। आपके अभिन्न मित्र मुश्किल से एक या दो ही होते हैं। जिनसे ये अपने दिल की सभी बातें कह सकते हैं। ये विश्वासघात के अलावा कुछ भी बर्दाश्त कर सकते हैं। 8. मीन राशि के लड़के भावुक हृदय व पनीली आंखों वाले होते हैं। अपनी बात कहने से पहले दो बार सोचते हैं। आप जिंदगी के प्रति काफी लचीला दृटिकोण रखते हैं। 9. अपने कार्य क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिये परिश्रम करते हैं। आपको बुद्धिमान और हंसमुख लोग पसंद हैं। 10. आप बहुत संकोचपूर्वक ही किसी से अपनी बात कह पाते हैं। एक कोमल व भावुक स्वभाव के व्यक्ति हैं। आप पत्नी के रूप में गृहणी को ही पसंद करते हैं। 11. ये खुद घरेलू कार्यों में दखलंदाजी नहीं करते हैं, न ही आप अपनी व्यावसायिक कार्य में उसका दखल पसंद करते हैं। आपका वैवाहिक जीवन अन्य राशियों की अपेक्षा सर्वाधिक सुखमय रहता है। 12. मीन राशि की लड़कियां भावुक व चमकदार आंखों वाली होती हैं। ये आसानी से किसी से मित्रता नहीं करती हैं, लेकिन एक बार उसकी बातों पर विश्वास हो जाए तो आप अपने दिल की बात भी उससे कह देती हैं। 13. ये स्वभाव से कला प्रेमी होती हैं। एक बुद्धिमान व सभ्य व्यक्ति आपको आकर्षित करता है। आप शांतिपूर्वक उसकी बात सुन सकती हैं और आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करती हैं। 14. अपनी मित्रता और वैवाहिक जीवन में सुरक्षा व दृढ़ता रखना पसंद करती हैं। ये अपने पति के प्रति विश्वसनीय होती है और वैसा ही व्यवहार अपने पति से चाहती हैं। 15. आपको ज्योतिष आदि में रुचि हो सकती है। आपको नई-नई चीजें सीखने का शौक होता है।

पत्ती पड़ोसी ओर मूर्ति

पति काम से घर जल्दी आ गया। पत्नी ने यह देखा तो घबरा कर प्रेमी गुप्ता जी को पाउडर लगा कर, कोने में मूर्ति बनाकर खड़ा कर दिया। पति कमरे में आया तो उसने मूर्ती देखी और पूछा-: यह क्या है डार्लिंग..? पत्नी मुस्कुराते हुए बोली:जी, यह मूर्ति हमारे पड़ोसी गुप्ता जी ने दी है। पति कुछ ना बोला और काम काज में व्यस्त हो गया। पति आधी रात को उठ कर मूर्ति के आगे सेंडविच रखकर बोला-खा लो गुप्ता जी। परसों मैं भी तुम्हारे घर सारी रात ऐसे ही खड़ा रहा किसी ने पानी तक भी नहीं पूछा था।

Tuesday 6 November 2018

हिन्दू ओर तीन जानवर

*लड़ाई या कठिन परिस्थिति में घिर जाने पर जानवर क्या करते हैं ?* *आईये मनोविज्ञान के अध्ययन के द्वारा इसे जानने की कोशिश करें ।* *खतरे में फंस कर जानवर तीन तरह से व्यवहार करते हैं, फाईट, फ्लाईट या फ्रीज।* *फाईट यानि लड़ना , जिसे कहते हैं, मुसीबत का डटकर मुकाबला करना ।* *फ्लाईट यानि भाग जाना । जिसे कहते हैं दुम दबाकर डरकर भाग जाना ।* *फ्रीज यानि वहीं जड़ हो जाना । जिसे कहते हैं, डर से लकवा मार जाना ।* *लड़ाई में आमना सामना होने पर कुछ जानवर लड़ना पसंद करते हैं । जैसे, शेर, भालू, हाथी आदि। चाहे दुशमन कैसा भी ताकतवर क्यों न हो, यह भिड़ जाते हैं ।* *कुछ जानवर जब ताकतवर या हिंसक जानवर से घिर जाते हैं तो जान बचाने के लिए भागना पसंद करते हैं । जैसे कि, हिरण, खरगोश, बकरी आदि।* *अब तीसरे तरह के जंतु भी होते हैं । यह जब खतरा देखते हैं तो शांत बैठ जाते हैं । जैसे कि शतुरमुर्ग खतरा देखकर रेत में सिर छुपा लेता है । कबूतर के पास यदि बिल्ली आ जाए तो अपनी आंख बंद कर लेता है। यह सोचते हैं कि मेरे आंख बंद कर लेने से मुसीबत टल जाएगी । पर वह नहीं टलती व बिल्ली शांत बैठे कबूतर को ग्रास बना लेती है ।* * हिंदू भी इन तीन प्रकार के होते हैं ।* *फाईट प्रवृति वाले यानि कट्टर हिंदु। जोकि जानते हैं विदेशी ताकतों जैसे कि इसलाम व इसाई धर्म ने हमको हिंदुस्थान में ही दबाना शुरू कर दिया है ।अतः कट्टर हिंदू इनसे अपने धर्म या जीवन को बचाने के लिए संघर्ष करते हैं । यह दूसरे धर्म की बुराईयों की बात करने से नहीं डरते।* *दूसरे होते हैं फ्लाईट या कायर हिंदू, जिन्हें हम सेकुलर कहते हैं । यह कहीं भी आमना सामना होने पर सेकुलरिज्म की दुहाई देंगे व अपनी कायरता को सेकुलर के आवरण में छुपाने का प्रयास करेंगे। यह कहेंगे कि मुसलमान तो एसे ही होते हैं , तुम उनसे दूर रहा करो। यह हिंदू जहां भी मौका पढ़ेगा, भागकर सबसे पहले अपनी जान बचाऐंगे । यह अपने धर्म की बुराई सुन लेंगे पर दूसरे धर्मों की गलती को भी सर आंखों पर बिठाऐंगे।* *तीसरे होते हैं फ्रीज प्रवृत् के यानि मृतप्राय हिंदू । विरोधी संप्रदाय की भीड़ को देखकर ही इनके हाथ पांव ठंडे पड़ जाते हैं । इनके धर्म की इनके सामने बुराई करो या जूते मारो इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता । इन्हें कुछ ले देकर धर्म परिवर्तन करवा लो तो भी तैयार हैं ।* इस कहानी से तात्पर्य किसी भी हिंदू भाइयों के दिल को ठेस पहुंचाना नहीं है बल्कि यह कहानी तो किसी भी हिंदू भाइयों के दिल को झकझोर कर उनके दिल में जो एक डर है उसको बाहर निकाल कर एक निडर होने की भावना को उद्धृत करते हुए यह है अद्भुत करती है कि हिंदुओं में तीन प्रकार की जो जानवर ता पाई जाती है जवाब जो मूर्खता पाई जाती है वह किस तरह से होती है वह तीनों ही चीजें इसमें बताई गई है तो हमें इस चीज को हमेशा पॉजिटिव लेना है और जो कमी है उसको बाहर निकालना है और अच्छाई को अंदर लेना है जबकि नेगेटिव कोई भी चीज को हमें बीच में नहीं लाना है और मैं सभी हिंदू भाइयों से निवेदन करूंगा अपील करूंगा कि हमें अपने अंदर के उन तीन जानवरों को मारना है जो हमें सिर्फ आलस लाचारी और नौकरों के अलावा कुछ नहीं देते और हमें जीवन में आगे बढ़ते रहना है तो जय श्री राम जय हिंदुत्व जय भगवा

BJP ओर अयोध्या मंदिर

जिस भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अपना पूरा राजनीतिक जीवन दाँव पर लगाकर भारत की पवित्र भूमि में से एक 'अयोध्या ' नगरी, जहां साक्षात तीन लोकों के स्वामी भगवान ' श्री राम ' का जन्म हुआ.. उस पवित्र भूमि पर वर्षो से लगे एक आततायी मुस्लिम शासक बाबर द्वारा राममंदिर तोड़कर बनायी बाबरी मस्जिद रूपी कलंक को धोया .. आज उसी भारतीय जनता पार्टी पर अगर कोई हिंदू होकर ये आरोप लगाए कि कि भारतीय जनता पार्टी के कारण राममंदिर निर्माण में विलंभ हो रहा है... तो विश्वास मानिए एसे आरोप लगाने वाले व्यक्ति की मंदबुद्धी पर मुझे तरस आता है . अगर भारतीय जनता पार्टी अयोध्या में राममंदिर नहीं बनवाएगी.. तो क्या समाजवादी पार्टी बनवाएगी जिसका मुखिया ( मुलायम सिंह यादव ) भरे मंच पर सीना ठोक कहते हैं कि हां मैंने मुसलमान भाईयों की खातिर कारसेवकों पर गोलियां चलवाई थीं , तो क्या आप उनके ही पुत्र अखिलेश यादव से राममंदिर निर्माण की आशा लगाए हैं जिसने अपने शासन काल में मुसलमानों के लिए गाजियाबाद में करोड़ो की लागत से एशिया के सबसे बड़े हज हाऊस का निर्माण करवाया .. तो क्या बसापा की मायावती राममंदिर निर्माण करवाएगी.. जो भगवान राम को ही नहीं मानती हैं , जिसके समर्थक भगवान राम , कृष्ण , हनुमान , शंकर के चित्रो को जलाते, उन पर थूकते हुए पाए जाते हैं ..जिन्होंने अपने शासन काल में स्वयं की मूर्तियों का निर्माण करवाया, हजारों लाखों की संख्या में करोड़ों की लागत से हाथियों की मूर्तियां बनवाई ..पर किसी चौराहे पर भगवान राम की एक छोटी सी मूर्ती का ही निर्माण नहीं करवाया होगा . क्या वह कांग्रेस राममंदिर का निर्माण करवाएगी..जिसके लगभग सभी नेता भगवान राम के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह खड़े करते हैं .. जिसने अपने शासनकाल में हज यात्रा पर जाने वाले मुसलमानों को तो सब्सिडी देना प्रारंभ किया ओर अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले हिंदूओ पर टैक्स लगाया ( मोदी सरकार ने पिछले वर्ष ही इस हज सब्सिडी को समाप्त किया ) क्या वह कांग्रेस राममंदिर निर्माण करवाएगी जिसने अपने शासन काल में सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु को तोड़ने के लिए हलफनामा दिया था ओर यह पक्ष रखा था कि राम, सीता, हनुमान, वाल्मीकि आदि किरदार काल्पनिक हैं बाद में भारतीय जनता पार्टी के विरोध के कारण ही वह रामसेतु नहीं तोड़ पायी .. क्या वह कांग्रेस राममंदिर निर्माण करवाएगी जिसने हिंदू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद जैसे शब्द गढ़े .. क्या वह राहुल गांधी मंदिर निर्माण करवाएंगे जिन्होंने यह कहा था कि मंदिर जाने वाले लोग ही लड़कियों को छेड़ते हैं ( उनका कहने का मतलब मस्जिद ओर चर्च जाने लोग शरीफ होते हैं ) धैर्य और विश्वास रखिए, मुझे पूर्ण दृढ विश्वास हैं उचित समय आने पर नरेन्द्र मोदी जी के शासन काल में ही भव्य राममंदिर का निर्माण हो जाएगा ओर विश्वास मानिए जितनी बेचैनी ओर व्याकुलता हम आपको राममंदिर निर्माण को लेकर है उतनी ही नरेन्द्र मोदी जी के ह्रदय में होगी... भारतीय जनता पार्टी ,नरेन्द्र मोदी जी का विरोध करने वाली विभिन्न विपक्षी पार्टियों के नेता जो हिंदू भेष में छुपे बाबर की औलादें हैं ये ना तो कभी राममंदिर निर्माण के पक्ष में रहे हैं ...ओर ना ही होंगे ... समस्त हिंदू समाज से निवेदन है इन बहरूपियों बाबर की औलादों के बहकावे में बिल्कुल भी ना आएं, उचित समय आने पर अतिशीघ्र नरेन्द्र मोदी जी के ही शासन काल में भव्य राममंदिर का निर्माण होगा |

हिन्दू राष्ट्र की मांग : नेपाल को

*नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर चलाए जा रहे अभियान को मुसलमानों से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. बता दें कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने को लेकर एक अभियान चलाया जा रहा है।* *खास बात है कि इस अभियान का अगर कोई समुदाय सबसे ज्यादा समर्थन कर रहा है तो वह है वहां का मुस्लिम समुदाय। नेपाल का मुस्लिम समुदाय सेकुलर राष्ट्र नहीं चाहता है, बल्कि वह पुराना हिंदू राष्ट्र चाहता है।* *वहां के मुसलमानों का कहना है कि नेपाल में सेकुलर संविधान के तहत नहीं बल्कि हिंदू राष्ट्र के अंतर्गत इसलाम ज्यादा सुरक्षित है। नेपाल के राप्ति मुस्लिम सोसाइटी के चेयरमैन अमजद अली का कहना है कि अगर इसलाम को सुरक्षित रखना है तो हमें नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करवाने के लिए अपना मुंह खोलना होगा क्योंकि हिंदू राष्ट्र के तहत ही हमारा मजहब सुरक्षित रह सकता है।* *अमजद अली नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग के लिए प्रदर्शन कार्यक्रम से भी जुड़े हैं। सीपीएन-यूएमएल सीए की सदस्य अनारकली मिया ने कहा है कि वह अपने अनुभव के आधार पर कह सकती है कि नेपाल में क्रिश्चियनिटी के विस्तार के लिए क्रिश्चियन मिशनरी यहां के लोगों को सेकुलर के नाम पर भ्रमित करने में जुटे हैं।* *उनका तो यहां तक कहना है कि नेपाल को सेकुलरिज्म स्वीकार ही नहीं करना चाहिए। सेकुलरवाद भविष्य में और संकट पैदा करेगा। इनके अलावा कई नामी मुस्लिम नेताओं ने भी स्वीकार किया है कि यहां क्रिश्चियनिटी का प्रभाव बढ़ाया जा रहा है।* *नेपालगंज के राष्ट्रवादी मुसलिम मंच के चेयरपर्सन बाबू खान पठान के हवाले से वहां के प्रमुख समाचार पत्र हिमालयन टाइम्स ने कहा है कि नेपाल को सेकुलर राष्ट्र बनाने के पीछे सदियों से चल रही हिंदू-मुसलिम के भाईचारे को तोड़ने की मंशा थी।* *इसलिए नेपाल को एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए* नेपाल के अंदर वहां के मुसलमान आज उस देश को हिंदू राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं तो इस बात का सीधा सा अर्थ यह भी है कि हिंदू संस्कृति सबसे ऊपर है हिंदू संस्कृति सबसे बड़ी है और हिंदू की संस्कृति शब्द संस्कृतियों से अलग है क्योंकि इस संस्कृति में सब का सम्मान है मान है जान है परिवार है और उन मुसलमानों ने आज नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की जो मांग की है हम उसका सम्मान करते हैं और हम भी यही चाहते हैं कि वहां पर भी हिंदू राष्ट्र लागू हो क्योंकि नेपाल हमारा पड़ोसी देश है वह हमारा भाई है कहीं ना कहीं हमें उनसे मदद मिलती है और हम भी उनकी मदद करते हैं भारतीय कभी ऐसा नहीं बोलते कि नेपाल ने हमें कुछ नहीं दिया जो दिया हमने नेपाल को दिया हमेशा कतई नहीं बोलते क्योंकि ऐसा बोलने से ना सिर्फ लोगों पर ठेस पहुंचती बल्कि नेपाल के देशवासियों को भी ऐसा लगता है कि भारतीय घमंडी बहुत ज्यादा है तो हमें ऐसा नकारते हुए हमें सबसे मेन मुद्दा अपना यही है कि वहां के जो मुसलमानों ने यह मुद्दा उठाया वह अच्छा है और सरकार इसको जारी करें धन्यवाद

संघ: आसान या मुश्किल

“संघ को जानना जितना आसान है, समझना उतना ही मुश्किल" संघ के काम के बारें में जो दिखाया जाता है, जो बताया जाता है. वो संघ का काम नहीं है बल्कि संघ के स्वयंसेवकों का काम है.संघ का काम तो सिर्फ़ शाखा चलाना है. शाखाओं में मनुष्यों का निर्माण होता है. और यह सुनिश्चित करना कि ऐसा ही माहौल पूरे देश में निर्मित्त हो बस संघ का इतना छोटा सा काम है. “संघ कुछ नहीं करता और स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ते, सब कुछ करते है” बस इतनी छोटी सी बात संघ 1925 से समझा रहा है. जो कुछ लोगो समझ में नहीं आता है. इसलिए संघ पर विश्वास नहीं होता. इसलिए संघ को समझने का प्रयास करना पड़ता है. “संघ की तरह का कोई दुसरा मॉडल आज नहीं है. जिससे संघ की तुलना की जा सकें, ऐसा पूरी दुनिया में कोई दूसरा मॉडल नहीं है।” संघ को कैसे जाने ? संघ के बारें में पढ़कर संघ को नहीं जान सकते. परम पूज्यनीय गुरूजी ने कहा था “गत 15 वर्षों से संघ का सरसंघचालक होने के नाते अब मैं धीरे धीरे संघ को समझने लगा हूँ. क्या संघ समझ से परे है ? ऐसा भी नहीं है है. संघ को समझना आसान है और संघ को समझना मुश्किल भी है. संघ को जानने का एक ही रास्ता है. हृदय में एक सकार्त्मकता रखकर वास्तविक जिज्ञासा को लेकर, बिना किसी पूर्वाग्रह के श्रद्धा भक्ति पूर्ण तरीके से संघ को जानने का प्रयास करना. संघ का स्वयंसेवक यह साधना जीवन भर करता है. अर्थात संघ को जानने की जिज्ञासा लेकर, शुद्ध अंत:करण से जो संघ का अनुभव लेते है.धीरे धीरे उनको संघ समझ में आने लगता है. हर दिन समझ की मात्रा बढती जाती है. लेकिन अगर पूर्वाग्रह से संघ को देखेंगे तो संघ समझ में नहीं आएगा। संघ को देखना है तो लोग स्वयंसेवक को देखते है. और साथ-साथ वो भी देखते है जो वो करता है. और कहते है यही संघ है. लेकिन जिसमें से ऐसा सोच ऐसी कर्म करनी की इच्छा विकसित होती ही. असल मायनों में वही संघ है. संघ अपने स्वयंसेवक पर विश्वास करता है. हमारे विचार के सम्पर्क में आते है, हमारे विचार से चलने वाले कामों से निकलकर गये है. संघ जानता है स्वयंसेवक सोच विचार कर जो भी करेगा वो अच्छा ही होगा। संघ विचार क्या है ? संघ को कोई अलग से अपना विचार नहीं है. अपने देश के सभी लोगों का मिलकर जो चिन्तन बना है. संघ उसी चिंतन पर चलता है. स्वतंत्रता के पूर्व अपने देश के उत्थान के लिए, कार्य करने वाले सभी लोग का उनके अनुभव से जो निष्कर्ष था.उस निष्कर्ष को पूरा करने का का काम संघ ने उठाया. उन सभी महापुरुषों का चिन्तन था “हम देश का भाग्य परिवर्तन अपनी बुराइयां छोड़कर, अपनी अस्मिता के लिए एक साथ मिलकर हमको जीना-मरना चाहिए. और यह आदत बहुत दिनों से छूटी हुयी है. तो इनको इस आदत पर लगाने वाला एक संगठन होना चाहिए. डा. हेडगेवार जी ने यह आदत डलवाने के लिए 1925 में संघ की स्थापना की. इस संगठन का बीजारोपण 10-12 साल पहले ही डाक्टर साहब के मन में हो चुका था. 1940 तक संघ के बारें में सभी विचारधारा के बुद्धजीवियों की सहमती थी लेकिन 1940 के बाद धीरे धीरे स्वार्थ राष्ट्रीय हित से बड़ा दिखाई देने लगा। राष्ट्रीय पहचान क्यों ? हम को आपस में जोड़ने वाली बात क्या है. हमारे यहाँ अनेक भाषाएं बोली जाती है. पंथ-संप्रदाय भी बहुत है. नास्तिक से लेकर मूर्तिपूजा तक सब हमारे यहाँ है. खान-पान, रहन-सहन वेशभूषा सभी कुछ अलग है. एक सूत्र जो हम सभी भारतीयों को आपस में जोड़े हुए है, वह है “विविधता में एकता सीखाने वाली हमारी संस्कृति”, सांसकृतिक अस्मिता के नाम पर हम एक है. इस देश की चार दीवारी के अंदर जन्मा, पला बढ़ा हुआ कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी पूजा पद्दति कोई भी हो, भाषा-प्रांत कोई भी हो,राजनितिक मान्यता कोई भी हो, फिर भी उसमें कहीं न कहीं उस पर ऐसा प्रभाव दिखाई देता है. जो दुनिया के अन्य किसी भी देश में दिखाई नहीं देता. क्योंकि हमारी संस्कृति की एक अनूठी पहचान है. जब सभी एक जैसे ही है तो वह पहचान नहीं दिखती लेकिन जैसे ही हम भारत के बाहर दूसरों के बीच जाते है. “हिन्दुस्तानी””भारतीय” और हिन्दू के रूप में हमारी पहचान की जाने लगती है. भारतीय हिन्दू और आर्य संस्कृति यह तीनों परस्पर समनार्थी शब्द है. इस देश की चार दीवारी में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के पूर्वज बाहर से नहीं है. वो सभी भारतीय ही थे. हम सभी में एक बात सामान है. हमारी विचारधार कोई भी हो. देशभक्ति की भावना उसके ह्रदय में झंझानित जरुर करती है. भारत माता उसके ह्रदय में देशभक्ति के तारों को छेड़ती है तब उसके मुख से देशभक्तिपूर्ण उदगार निकलते है। “हिन्दू कौन है” हिंदुत्व को लेकर भ्रम है. हिन्दू नामक कोई पथ सम्प्रदाय नही है. “सभी पथ,सम्प्रदायों का सम्मान करने वाला, उनको स्वीकार करने वाला और अपने सम्प्रदाय पर श्रद्धापूर्वक चलने वाला हिन्दू है। “हिन्दू संगठन क्यों” मानव स्वभाव है परिक्षा में या जीन्दगी में जो आसान चुनौतियां है. उनको पहले हल किया जाता है. मुश्किल सवाल बाद में किये जाते है. इसलिए पहले जो खुद को हिन्दू कहते है. संघ उनको सगठित करके, उनका अच्छा जीवन खड़ा कर रहा है. एक बार एक पत्रकार ने पूज्यनीय गुरु जी से प्रश्न पूंछा “मेरे गाँव में एक भी ईसाई या मुसलमान नहीं है.” तो मेरे गाँव में संघ की शाखा का क्या औचित्य? गुरु जी ने विनम्रता पूर्वक कहा “भले आदमी ! तुम्हारा गाँव क्या दुनिया में भी कोइ मुसलमान या इसाई न होता और हिन्दू समाज इस हालत में होता तो भी हम संघ का काम करते. संघ का काम किसी के विरोध में नहीं है बल्कि संघ का काम हिन्दू हित है. इसलिए अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए नहीं, मुसलमानों के भय से नहीं, ईसाई मतांतरण करवाते है इसलिए नहीं, बल्कि हिन्दू समाज के उत्थान के लिए, भारत माता के हितों की रक्षा का दायित्व हिन्दुओं का है. इसलिए हिन्दुओं को संगठित कर, शक्ति-सामर्थ्य से युक्त करना संघ का कार्य है. समस्या बाकी लोग नहीं है. समस्या सही विचार को काल और संगत के लिए उपयुक्त सही आचरण से न बता पाना है. पहले हम अपनी कमियों को ठीक करें. फिर सभी को संगठित करे. एक बार संगठित हो गये बस फिर सब होगा। संघ की पद्दति पहले अपने आपको ठीक करों. एक उदाहरण बनो दूसरों के लिए. मनुष्य जीवन स्वार्थ के लिए नहीं परोपकार के लिए मिला है. पहले इसका व्यय राष्ट्रीय भावना के लिए करो फिर अंतर्राष्ट्रीय बंधुत्व की बातें करना. अपने पड़ोसियों के दुःख दर्द में शामिल न हो और भाषण दो विश्व बंधुत्व के. इस तरह “त्याग और सेवा” जैसे गुणों से युक्त मनुष्य का निर्माण करने वाली प्रयोगशाला का नाम “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” है। 1940 के बाद, संघ का स्वरुप देखकर राजनीतिक सत्ता का सिंहासन डोलने लगा. और संघ के खिलाफ दुष्प्रचार किया जाने लगा. मगर स्वयंसेवकों की दिन रात की कठिन तपस्या के कारण, एक दशक बाद ही वो कालखंड आया. जब प्रधानमंत्री ने अन्य नेताओं के साथ माननीय संघ चालक को विचार विनमेय के लिए बुलाया. 26 जनवरी की परेड में आर.एस.एस. की वाहिनी को शामिल किया गया. इसके बाद संघ के स्वयंसेवकों ने एक से बढ़कर एक प्रकल्पों में बढ़चढ़कर हिसा लेना आरम्भ कर दिया. शीघ्र ही हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और अनुशासन की वजह से स्वयंसेवकोंने अपने झंडे गाड़ लिए. आपातकाल ने संघ के महत्व को पुन: समझाया. आर.एस.एस. के प्रचार तंत्र से देश ने प्रजातंत्र की रक्षा की. तब संघ को देखने की समाज की नज़र बदल गयी थी. यह सब कैसे हुआ. “संघ का विचार सत्य विचार है, अधिष्ठान शुद्ध है पवित्र है. इस शक्ति से ही संघ हर मुश्किल का सामना कर रहा है. इन विचारों को व्यवहार में लाने वाली कार्यपद्दति को तैयार करने का काम, संघ शाखाओं के माध्यम से कर रहा है. बाकी सब बंद हो सकता है. संघ की शाखा कभी बंद नहीं होगी। संघ का उद्देश्य सम्पूर्ण दुनिया को सुखी-सम्पन्न वैभव पूर्ण बनाना है. और इसके लिए भारत वर्ष को परम वैभव सम्पन्न होना अति-आवश्यक है. संघ को जानना है तो घर के पास की किसी संघ की शाखा में आइये. संघ को जानने का हर कोई दुसरा मार्ग नहीं है।